सुरेश एस. डुग्गर
जम्मू, 4 जून
पीएम पैकेज के तहत कश्मीर में ही बसने की शर्त को स्वीकारते हुए सरकारी नौकरी पाने वाले कश्मीरी पंडित तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के सरकारी कर्मचारियों का कश्मीर से बाहर तबादला करने से साफ इंकार के बाद कर्मचारी और सरकार आमने-सामने हैं। कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मी कश्मीर में रुकने को राजी नहीं हैं। कई सेफ जोनों से निकल कर वह जम्मू पहुंच चुके हैं और वे अब जान पर खतरा बताकर जम्मू में ट्रांसफर करने की मांग को लेकर प्रदर्शनों में जुट गए हैं। दो दिनों से वे जम्मू में प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने कश्मीर के गांवों में तैनात पंडित टीचरों व कई अन्य कार्यालयों में तैनात कर्मियों की ट्रांसफर करनी शुरू कर दी है पर उन सभी को कश्मीर में ही स्थानांतरित किया गया है। वे अब जम्मू में डेरा जमाए हुए हैं।
दरअसल टारगेट कीलिंग की घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। कश्मीर के ग्रामीण क्षेत्रों से तैनात 177 कश्मीरी पंडित शिक्षकों तथा लेख विभाग के कई कर्मियों का ट्रांसफर कर दिया गया है। सरकार ने यह फैसला टीचरों और अन्य सरकारी कर्मचारियों के विरोध-प्रदर्शन के बाद लिया है। कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़े लोगों ने कश्मीर से जम्मू ट्रांसफर की मांग की थी, उन्होंने स्कूल जाना भी बंद कर दिया था।
प्रशासन ने कल स्पष्ट किया था कि कर्मचारियों को कश्मीर से बाहर नहीं भेजा जाएगा, बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ट्रांसफर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बाहर भेजकर सीमा पार से लिखी गई कत्ल की गाथा के हिस्सेदार नहीं बन सकते हैं। यही तो वे लोग चाहते हैं। जम्मू पहुंचने वाले कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने आज जम्मू में विरोध प्रदर्शन किए। उन्होंने तवी पुल को भी जाम कर शहर का जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार जल्द से जल्द उनका गृह जिलों में तबादला करे। कर्मचारियों ने कहा कि जिस तरह से कश्मीर के अलग-अलग स्थानों में गैर कश्मीरियों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है, ऐसे हालात में वे अब कश्मीर नहीं जाएंगे।
इस अवसर पर पुनन कश्मीर ने कहा है कि केंद्र सरकार कश्मीर की जमीनी हकीकत को पहचानने की कोशिश करे। यह कोई विकास से जुड़ी समस्या नहीं है। यहां पर पाकिस्तान के समर्थन से इस्लामिक जेहाद चल रहा है और उसे उसी तरीके से निपटा जाना चाहिए।