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कश्मीर में चिनार के पेड़ों का बन रहा है ‘आधार कार्ड’

श्रीनगर, 23 जनवरी (एजेंसी) जम्मू-कश्मीर सरकार चिनार के पेड़ों का आधार कार्ड बना रही है। असल में चिनार के पेड़ों के संरक्षण के लिए ‘डिजिटल ट्री आधार’ कार्यक्रम शुरू किया गया है। शहरीकरण के कारण खतरे का सामना कर रहे...
श्रीनगर में चिनार के पेड़ों पर ‘डिजिटल ट्री आधार’ कार्यक्रम के तहत टैग लगाते कर्मी। - प्रेट्र
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श्रीनगर, 23 जनवरी (एजेंसी)

जम्मू-कश्मीर सरकार चिनार के पेड़ों का आधार कार्ड बना रही है। असल में चिनार के पेड़ों के संरक्षण के लिए ‘डिजिटल ट्री आधार’ कार्यक्रम शुरू किया गया है। शहरीकरण के कारण खतरे का सामना कर रहे इन वृक्षों का एक व्यापक डाटाबेस तैयार किया जाएगा।

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जम्मू-कश्मीर का सांस्कृतिक और पारिस्थितिक प्रतीक चिनार के पेड़ों को ‘जियो-टैग’ और क्यूआर कोड से लैस किया जा रहा है, जो इसकी भौगोलिक स्थिति, स्वास्थ्य और बढ़ने के क्रम की जानकारी रिकॉर्ड करेंगे ताकि संरक्षणकर्ताओं को परिवर्तनों का पता लगाने और जोखिमपूर्ण कारकों को दूर करने में मदद मिले। इस अभियान में भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) समेत आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य चिनार के पेड़ों को शहरीकरण, वनों की कटाई और ठिकानों को होने वाले नुकसान आदि से बचाना है। इस परियोजना का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर वन विभाग का जम्मू-कश्मीर वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) कर रहा है। क्यूआर-आधारित डिजिटल प्लेट को सर्वेक्षण में शामिल प्रत्येक चिनार के पेड़ पर चिपकाया जाता है। प्रत्येक पेड़ को आधार जैसी एक विशिष्ट आईडी दी जाती है, जिसमें पेड़ का सर्वेक्षण किए जाने का वर्ष, वह किस जिले में स्थित है और आसान पहचान के लिए एक क्रमांक दिया जाता है।

एफआरआई के परियोजना समन्वयक सैयद तारिक ने कहा, ‘चिनार हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है। हम चिनार की कुल संख्या, उनकी स्थिति, उनकी ऊंचाई, परिधि आदि जानने के लिए एक सर्वेक्षण कर रहे हैं। इसलिए, हमने पेड़ों की जियो-टैगिंग की यह पहल की है।’ उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 28,500 चिनार के पेड़ों की पहचान, सर्वेक्षण और उनके आंकड़ों को अद्यतन किया गया है तथा यह प्रक्रिया जारी है।

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