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जेल से आजादी के बाद मिलेगी नई जिंदगी, बंदियों के भविष्य को लेकर ऐतिहासिक कदम; HKRNL के जरिए होगा नौकरी का प्रबंध

बंदियों को मिलेगा कौशल, डिप्लोमा और रोजगार का सुनहरा मौका
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प्रदेश सरकार ने बंदियों के भविष्य और पुनर्वास को लेकर ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब जेल में रहते हुए भी बंदी अपने भविष्य की नींव रख सकेंगे। सजा पूरी होने के बाद सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर पा सकेंगे। इसके लिए सरकार हरियाणा कौशल रोजगार निगम के साथ एमओयू करने जा रही है, जो सजा पूरी कर चुके बंदियों को कांट्रेक्ट पर रोजगार उपलब्ध कराएगा। सहकारिता, कारागार, निर्वाचन, विरासत व पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने आज चंडीगढ़ में इस संदर्भ में गृह व जेल विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की।

उन्होंने बताया कि प्रदेश की पांच जेलों में बंदियों के लिए कौशल विकास के 12 कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। सबसे बड़ा कदम गुरुग्राम जेल में पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन वर्षीय कंप्यूटर इंजीनियरिंग डिप्लोमा केंद्र की स्थापना है। अब बंदी केवल सजा पूरी करने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि आत्मनिर्भर बनने और सम्मान के साथ समाज में लौटने का अवसर पाएंगे। यह पहल सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं है। बंदियों को तकनीकी और औद्योगिक कौशल हासिल करने का मौका मिलेगा, जिससे वे जेल से बाहर आने के बाद रोजगार पा सकेंगे।

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इंद्री पॉलिटेक्निक देगा मदद

प्रशिक्षण के दौरान उन्हें कंप्यूटर ऑपरेशन, प्रोग्रामिंग, वेल्डिंग, सिलाई, बढ़ईगीरी, प्लंबिंग, इलेक्ट्रिशियन और सौंदर्य प्रसाधन जैसे कौशल सिखाए जाएंगे। इस पहल का तकनीकी सहयोग राजकीय तकनीकी संस्थान इन्द्री (मेवात) देगा। वहीं, जेल विभाग और कौशल रोजगार निगम मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि सजा पूरी करने के बाद रोजगार के अवसर उपलब्ध हों, ताकि बंदी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनें और समाज में सम्मान के साथ लौट सकें।

पंजीकरण, लोन और रोजगार

जेल विभाग ने पंजीकरण प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है और अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अधिक से अधिक बंदियों को उनके रुचि के अनुसार प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। सजा पूरी कर चुके बंदियों के लिए श्रम विभाग के सहयोग से लोन और आर्थिक सहायता की व्यवस्था भी की जाएगी। इसका उद्देश्य बंदियों को आर्थिक आत्मनिर्भरता देना और बाहर आने के बाद सम्मान के साथ नई जिंदगी शुरू करने का अवसर प्रदान करना है।

पायलट प्रोजेक्ट पर सभी की नजर

गुरुग्राम जेल में स्थापित पायलट प्रोजेक्ट एक मॉडल साबित होगा, जिसे आगे प्रदेश की अन्य जेलों में भी लागू किया जाएगा। डॉ़ शर्मा ने कहा कि यह पहल बंदी सुधार, कौशल विकास और समाज में पुनर्वास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। जेल में रहते हुए भी बंदी अब अपने भविष्य की नींव रख सकते हैं। तकनीकी और औद्योगिक कौशल उन्हें नए अवसरों की ओर ले जाएगा व सजा पूरी होने के बाद समाज में सम्मान के साथ लौटने का अवसर देगा।

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