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9 August 1971: जब भारत ने रूस के साथ मिलाया हाथ, बदल गए वैश्विक समीकरण

History of India Russia Relations: भारत-रूस के संबंधों के इतिहास में नौ अगस्त का दिन एक ऐसा दिन था, जिसने दोनों देशों के रिश्तों के स्वरूप को दशकों तक निर्धारित किया और तत्कालीन विश्व के समीकरण में आमूलचूल परिवर्तन कर...
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History of India Russia Relations: भारत-रूस के संबंधों के इतिहास में नौ अगस्त का दिन एक ऐसा दिन था, जिसने दोनों देशों के रिश्तों के स्वरूप को दशकों तक निर्धारित किया और तत्कालीन विश्व के समीकरण में आमूलचूल परिवर्तन कर दक्षिण एशिया के देशों की विदेश नीति को प्रभावित किया।

वर्ष 1971 में यह वह समय था, जब भारत के खिलाफ अमेरिका, पाकिस्तान और चीन का गठबंधन मजबूत होता जा रहा था और तीन दिशाओं से घिरे भारत की सुरक्षा को गंभीर ख़तरा महसूस होने लगा था। ऐसे में तत्कालीन सोवियत विदेश मंत्री अंद्रेई ग्रोमिको भारत आए और 1971 में नौ अगस्त के ही दिन उन्होंने भारत के उस समय के विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह के साथ सोवियत-भारत शांति, मैत्री और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए। यह संधि दोनों देशों के दोस्ताना संबंधों में एक मील का पत्थर बनी।

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1971 में भारत के सामने हालात बेहद गंभीर थे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मार्च 1971 में आम चुनाव कराए और निर्णायक जीत दर्ज की, लेकिन कुछ ही हफ्तों में पाकिस्तान की आंतरिक घटनाओं ने बाहरी वातावरण को संकटपूर्ण बना दिया। दिसंबर 1970 में पाकिस्तान में चुनाव हुए, जिनमें शेख मुजीबुर रहमान की अवामी लीग ने पूर्वी पाकिस्तान में 169 में से 167 सीटें जीतीं। यह बहुमत उन्हें केंद्र में सरकार बनाने का अधिकार देता था, लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान की सेना और नेता सत्ता सौंपने को तैयार नहीं थे। 25 मार्च को पूर्वी पाकिस्तान में सेना ने क्रूर दमन शुरू किया, जिससे लाखों शरणार्थी भारत आने लगे। उनकी संख्या अंततः एक करोड़ तक पहुंची, जिससे भारत पर भारी बोझ पड़ा और सैन्य हस्तक्षेप का दबाव बढ़ा।

इस दौरान पाकिस्तान, अमेरिका और चीन के बीच संबंध मजबूत हो रहे थे। जुलाई 1971 में पाकिस्तान की मदद से अमेरिकी विदेश सलाहकार हेनरी किसिंजर का गुप्त चीन दौरा हुआ, जिससे राष्ट्रपति निक्सन पर पाकिस्तान का आभार और भारत के प्रति उनकी व्यक्तिगत नापसंदगी बढ़ी। अमेरिका ने न केवल भारत को सैन्य कार्रवाई से चेताया, बल्कि चीन को भी प्रोत्साहित किया कि वह जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप करे।

ऐसे माहौल में भारत को सोवियत संघ की सुरक्षा गारंटी की जरूरत थी। संधि के अनुच्छेद 9 में प्रावधान था कि यदि किसी पक्ष पर हमला होता है या खतरा होता है, तो दोनों देश मिलकर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। इस आश्वासन से भारत को विश्वास मिला कि अमेरिका और चीन सीधे युद्ध में शामिल नहीं होंगे।

यह संधि वैश्विक परिस्थितियों और भारत- सोवियत संबंधों के विकास की उपज थी। 1970 और 80 के दशक में इसने दोनों देशों के सुरक्षा सहयोग को मजबूत किया। हालांकि, अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप (1979) पर भारत ने निजी तौर पर असहमति जताई, लेकिन सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं किया। 1980 के दशक में पाकिस्तान परमाणु शक्ति बन गया और अमेरिका ने इस पर आंख मूंद ली, जबकि भारत प्रभावी प्रतिक्रिया देने में असमर्थ रहा।

सोवियत संघ के विघटन के बाद, 1993 में भारत-रूस ने मित्रता और सहयोग की नई संधि पर हस्ताक्षर किए, लेकिन इसमें 1971 के अनुच्छेद 9 जैसा प्रावधान नहीं था। तब से द्विपक्षीय संबंधों का स्वरूप काफी बदल चुका है, हालांकि दोनों देश अब भी एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

देश-दुनिया के इतिहास में नौ अगस्त की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-

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