जयपुर, 16 जुलाई (एजेंसी)
भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण ने देश में विचाराधीन कैदियों की बड़ी संख्या पर चिंता जताते हुए शनिवार को कहा कि यह आपराधिक न्याय प्रणाली को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि उन प्रक्रियाओं पर सवाल उठाना होगा जिनके कारण लोगों को बिना मुकदमे के लंबे समय तक जेल में रहना पड़ता है। जस्टिस रमण ने शनिवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि देश के 6.10 लाख कैदियों में से करीब 80 प्रतिशत विचाराधीन बंदी हैं। उन्होंने कहा, ‘आपराधिक न्याय प्रणाली में पूरी प्रक्रिया एक तरह की सजा है। भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी से लेकर जमानत पाने तक और विचाराधीन बंदियों को लंबे समय तक जेल में बंद रखने की समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।’
जयपुर में 18वें अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए जस्टिस रमण ने कहा, ‘आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासनिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए हमें समग्र कार्य योजना की जरूरत है।’ कार्यक्रम में उन्होंने नालसा एलएसीएमएस पोर्टल, मोबाइल ऐप और ई-प्रिजन पहल का भी उद्घाटन किया। न्यायामूर्ति रमण ने कहा कि नया विधि सहायता मामला प्रबंधन पोर्टल और मोबाइल ऐप, विधि सहायता लाभार्थी के लिए बहुत मददगार होगा, क्योंकि विधि सहायता वकील के साथ मंच साझा करेंगे। उन्होंने कहा, ‘जेल ब्लैक बॉक्स हैं। कैदी अक्सर अनदेखे, अनसुने नागरिक होते हैं।’