अदिति टंडन/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 8 मई
उच्च रक्तचाप को लेकर देशभर में किए गये एक अध्ययन से पता चलता है कि हाइपरटेंशन पीड़ितों में से 72.1 फीसदी को अपनी बीमारी का पता ही नहीं है। यह स्थिति साल 2025 तक इस बीमारी से निपटने के लिए तय लक्ष्याें के सामने एक बड़ी चुनौती है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल सेंटर फॉर डिजीज़ इन्फॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (आईसीएमआर-एनसीडीआईआर), बेंगलुरु के अध्ययन के अनुसार, 28.5 फीसदी भारतीय वयस्क उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। जर्नल ऑफ ह्यूमन हाइपरटेंशन में प्रकाशित इस अध्ययन में 10593 वयस्कों को शामिल किया गया। इनमें से 3017 (28.5 फीसदी) को हाइपरटेंशन पाया गया। वहीं, हाइपरटेंसिव ब्रैकेट में 840 (27.9) लोग इसे लेकर जागरूक थे, जबकि 72.1 फीसदी को इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी। जागरूक लोगों में से 438 (14.5 फीसदी) ही इलाज करवा रहे थे।
दिल के रोगों का बड़ा कारण होने के मद्देनजर उच्च रक्तचाप को लेकर यह रिपोर्ट बेहद मायने रखती है। वर्तमान में यह अनुमान है कि देश में 28.1 फीसदी मौतें हृदय रोगों के कारण होती हैं।
अध्ययन के अनुसार, हाइपरटेंशन शहरी क्षेत्रों (34 फीसदी) में ग्रामीण (25.7 फीसदी) के मुकाबले ज्यादा है। इसका इलाज करवा रहे मरीजों में 99.6 फीसदी एलोपैथिक दवाएं ले रहे थे। इनमें से 80 फीसदी मरीज प्राइवेट सेक्टर से उपचार करा रहे थे।
आईसीएमआर-एनसीडीआईआर के निदेशक और अध्ययनकर्ताओं में शामिल डॉ. प्रशांत माथुर ने बताया कि महिलाओं और ग्रामीणों में बीपी नियंत्रण दर बेहतर पायी गयी। अध्ययन में यह भी पाया गया कि मध्य भारत के मुकाबले उत्तर और दक्षिण भारत में वयस्क उच्च रक्तचाप से ज्यादा पीड़ित होते हैं।
47.6% ने कभी जांच ही नहीं कराई
अध्ययन के अनुसार, उच्च रक्तचाप के मरीजों में से ज्यादातर 50-69 आयु वर्ग के लोग उपचार ले रहे हैं, जबकि सर्वे में शामिल अन्य 47.6 फीसदी वयस्कों ने माना कि उन्होंने कभी बीपी की जांच नहीं कराई। कभी जांच न करवाने वालों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है।