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50th Year of 'Emergency' : गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रकाश से ‘सुधीर' बन गए थे करात, एम्स छात्रावास में ली थी शरण  

इस युवा नेता ने बाद में देश की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी माकपा की कमान संभाली
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नई दिल्ली, 25 जून (भाषा)
50th year of 'Emergency' : आपातकाल के समय जब बड़े बड़े विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी हो रही थी और कई लोग सलाखों के पीछे जाने से बचने की कोशिश कर रहे थे तो उनमें एक छात्र नेता भी शामिल था। उसने पुलिस को चकमा देने लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के छात्रावास में शरण ले ली थी।
इस युवा नेता ने बाद में देश की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी माकपा की कमान संभाली। उनका नाम प्रकाश करात है। आपातकाल के समय करात ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया' के अध्यक्ष थे। वर्ष 2005 से 2015 तक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव रहे करात ने कहा कि वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गया आपातकाल ‘‘आकस्मिक प्रतिक्रिया'' का परिणाम था। उन्होंने दावा किया कि वर्तमान समय में ‘‘अधिनायकवाद'' कहीं अधिक ‘‘संस्थागत'' रूप ले चुका है।
करात आपातकाल के समय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पीएचडी के छात्र भी थे। उन्होंने बताया कि जब आपातकाल की घोषणा की गई थी तब वह कोलकाता में थे। मैं रफी मार्ग पर विट्ठल भाई पटेल हाउस में रहता था। वहां रहने वाले कम से कम से कम छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि कई राजनीतिक दल के नेता वहां रह रहे थे, जिनमें उस समय दिल्ली के माकपा के राज्य सचिव मेजर जयपाल सिंह भी शामिल थे। पार्टी ने उन्हें भूमिगत हो जाने का सुझाव दिया, जिसके बाद उन्होंने अपना उपनाम सुधीर रख लिया।  21 महीने के आपातकाल के दौरान करात ने लगभग 18 महीने भूमिगत रहकर बिताए।
पहले कुछ हफ्तों में, मुझे एहसास हुआ कि जब तक मैं जेएनयू, माकपा कार्यालय और वीपी हाउस में अपने फ्लैट से दूर रहूंगा, मैं तुलनात्मक रूप से सुरक्षित रहूंगा, क्योंकि पुलिस सक्रियता के साथ मेरी तलाश नहीं कर रही थी। मुझे रहने के लिए एकमात्र जगह कुछ दोस्तों के साथ मिल सकती थी, जो स्नातकोत्तर मेडिकल छात्र थे। उन दिनों एम्स एक अधिक आरामदायक जगह थी, इतनी भीड़भाड़ वाली जगह नहीं थी जितनी अब है। उन्होंने एम्स के छात्रावास में शरण ली थी।
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