राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद लगभग 500 साल से चला आ रहा था, जो राम मंदिर के शिलान्यास के साथ ही खत्म हो गया। घटनाक्रम इस प्रकार रहा…
1528 : मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनाई।
1885 : महंत रघुबीर दास ने कोर्ट से विवादित ढांचे के बाहर छतरी निर्माण की अनुमति मांगी
1949 : विवादित ढांचे के बाहर रामलला की मूर्तियां स्थापित कीं
1950 : मूर्तियों की पूजा के लिए जिला अदालत में याचिका दायर
1950 : पूजा जारी रखने की याचिका दायर
1959 : निर्मोही अखाड़ा ने जमीन पर अधिकार देने की याचिका दायर की
1961 : यूपी सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने स्थल पर अधिकार के लिए याचिका दायर की
1986 : अदालत ने पूजा के लिए स्थान खोलने का आदेश दिया
1989 : हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिए
1992 : बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहाया गया
1993 : विवादित स्थल में जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र ने ‘अयोध्या में निश्चित क्षेत्र अधिग्रहण कानून’ पारित किया।
1994 : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद इस्लाम से जुड़ी नहीं है।
2002 : हाईकोर्ट में विवादित स्थल के मालिकाना हक पर सुनवाई शुरू
2010 : हाईकोर्ट ने विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच 3 हिस्सों में बांटने का आदेश दिया
2011 : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
2016 : विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
2017 : सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पक्षों को अदालत के बाहर समाधान का सुझाव दिया
2018 : दीवानी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई
2019 : 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की संविधान पीठ का गठन किया। रोजाना सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा
2019 : 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि राम लला को दी। सरकारों को मस्जिद के निर्माण के लिए किसी प्रमुख स्थान पर 5 एकड़ जमीन मुसलमानों के देने का निर्देश दिया
2020 : 5 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये 15 सदस्यीय न्यास की घोषणा। 19 फरवरी को राम मंदिर ट्रस्ट
ने पदाधिकारियों की नियुक्ति की