नयी दिल्ली, 5 सितंबर (एजेंसी)
हाईकोर्ट्स में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया एक सुस्थापित प्रक्रिया के माध्यम से होती है, जिसमें हाईकोर्ट का कॉलेजियम न्यायाधीशों की वरिष्ठता, योग्यता और सरकार द्वारा उनके बारे में प्राप्त सभी सूचनाओं पर विचार करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यायाधीश की पदोन्नति को रोकने की कोशिश करने तथा अदालती कार्यवाही का दुरुपयोग करने पर एक वकील पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए यह टिप्पणी की।
वकील ने याचिका में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ए वेंकटेश्वर रेड्डी को तेलंगाना हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव पर प्रस्तुत अपने विरोध-पत्र पर विचार करने और आदेश जारी करने की मांग की थी। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ एक अधिवक्ता बी शैलेश सक्सेना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने वेंकटेश्वर रेड्डी के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं और कहा कि न्यायाधीश के रूप में उनकी पदोन्नति नहीं की जानी चाहिए।
जुर्माने के साथ जांच को भी कहा
पीठ ने कहा, ‘हम याचिकाकर्ता की बेशर्मी को देखकर आश्चर्यचकित हैं, क्योंकि अब वह मौजूदा याचिका को भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर कर रहा है।…..हमारा विचार है कि लागत की उचित वसूली ही एकमात्र समाधान प्रतीत होता है। हम इस प्रकार रिट याचिका को खारिज करते हुए 4 सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड वेलफेयर फंड में 5 लाख रुपये जमा करने का निर्देश देते हैं। हम यह भी उचित समझते हैं कि बार काउंसिल ऑफ तेलंगाना याचिकाकर्ता की एक सदस्य के रूप में आचरण की जांच करे और उस उद्देश्य के लिए आदेश की एक प्रति तेलंगाना की बार काउंसिल को भेजी जाए।’