नयी दिल्ली, 21 मार्च (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 के कारण हुई मौत के मामले में अनुग्रह राशि के दावे के लिए केंद्र द्वारा चार हफ्तों की समयसीमा देना संभवत: पर्याप्त नहीं है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने संकेत दिया कि ऐसे सभी लोगों को 60 दिन का समय दिया जाएगा, जो निर्धारित तिथि पर मुआवजे के लिए आवेदन देने के पात्र हैं और भविष्य के दावाकर्ताओं को 90 दिनों का वक्त दिया जाएगा।
पीठ ने कहा, ‘यह (चार हफ्ते) शायद उचित समय सीमा नहीं है, क्योंकि संबंधित परिवार शोकाकुल होंगे। अगर कोई मौत होती है तो परिवार को उस दुख से उबरने में वक्त लगेगा और फिर वह दावा जताएगा।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को कोविड-19 से मौत के लिए मुआवजे के फर्जी दावों का पता लगाना चाहिए, क्योंकि उसे आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के तहत शक्तियां दी गयी हैं। फर्जी दावों के सत्यापन के लिए सर्वेक्षण के नमूने देने का अनुरोध करने वाली केंद्र की अर्जी के संबंध में पीठ ने कहा कि यह दो-तीन राज्यों पर केंद्रित हो सकता है, जहां मौत के पंजीकरण और दावों में भिन्नता है।
इससे पहले सुनवाई की शुरुआत में केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुआवजा मांगने का दावा करने के लिए चार हफ्ते की समयसीमा तय करने का सुझाव दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है और वह 23 मार्च को आदेश देगा।
संक्रमण के 1549 नये मामले
देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 1549 नये मामले सामने आये हैं। उपचाराधीन मरीजों की संख्या कम होकर 25106 रह गयी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सोमवार सुबह तक के आंकड़ों के अनुसार, 31 और संक्रमितों के जान गंवाने के बाद इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या 5,16,510 पर पहुंच गयी है। कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर 98.74 प्रतिशत है। संक्रमण की दैनिक दर 0.40 प्रतिशत दर्ज की गयी। टीकाकरण अभियान के तहत कोरोनारोधी टीकों की 181.24 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं।