विश्व भारती/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 21 अप्रैल
कमलजीत 21 साल के थे, जब उन्होंने अपना प्यार खो दिया। अगले 22 साल उसके लिए न्याय के इंतजार में बीत गये। वह कहते हैं, ‘अब चाहता हूं कि केस खत्म हो जाये। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए 22 साल और इंतजार नहीं करना चाहता।’
बहुचर्चित हरप्रीत कौर अपहरण एवं हत्या मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दिसंबर 2018 में बीबी जगीर कौर, दलविंदर कौर ढेसी और अन्य को बरी किए जाने के बाद, कमलजीत और सीबीआई ने 2019 में अलग-अलग याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके 3 साल बाद भी सीबीआई बनाम बीबी जगीर कौर और अन्य मामले की पहली सुनवाई होनी बाकी है। कमलजीत ने कहा, ‘मैंने बहुत सहा है। इस तरह या उस तरह, केवल एक निर्णय ही इसे समाप्त कर सकता है।’
इस मामले की कहानी ढाई दशक पहले शुरू हुई, जब बीबी जगीर कौर की बेटी हरप्रीत कौर और उसके ही गांव बेगोवाल के रहने वाले कमलजीत सिंह को एक-दूसरे से प्यार हो गया और उन्होंने 1999 में चंडीगढ़ के एक होटल में गुपचुप तरीके से सगाई कर ली। हालांकि, बीबी, जो उस समय प्रकाश सिंह बादल की शिअद सरकार में कैबिनेट मंत्री और एसजीपीसी अध्यक्ष थीं, कथित तौर पर इस रिश्ते के खिलाफ थीं, वह चाहती थीं कि उनकी बेटी की शादी दलविंदर कौर ढेसी के बेटे से हो, जो यूके में था।
हरप्रीत गर्भवती हो गई और सीबीआई के अनुसार, फगवाड़ा में ढेसी के जसदिल मेंशन में अवैध रूप से उसका गर्भपात करा दिया गया। उसके बाद हरप्रीत की मौत हो गई और आनन-फानन में गांव में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। कमलजीत ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने मामला सीबीआई को सौंप दिया। इसके 12 साल बाद पटियाला की अदालत ने बीबी जगीर, उनके निजी सुरक्षा अधिकारी निशान सिंह, परमजीत सिंह रायपुर, दलविंदर कौर ढेसी सहित उनके सहयोगियों को दोषी ठहराया। उन्हें आईपीसी 120-बी, 313, 365 और 344 की धाराओं के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था। उन्हें हरप्रीत कौर के गर्भपात की साजिश रचने के लिए पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
हालांकि, छह साल बाद दिसंबर 2018 में हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अब, मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। दोनों पक्ष चाहते हैं कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई हो। यहां तक कि बीबी जागीर कौर ने भी जल्द सुनवाई के लिए अर्जी दी थी।
बीबी का कहना है, ‘जब मामला दर्ज किया गया था तो मैं एसजीपीसी अध्यक्ष थी और जब मुझे दोषी ठहराया गया, उससे 12 दिन पहले ही मंत्री की शपथ ली थी। अब मुकदमा, समाप्त हो जाना चाहिए।’ कमलजीत एक सीमांत किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। हमने कमलजीत से उनकी तस्वीर मांगी तो उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘मेरी अाज की तस्वीरें पहले की तस्वीरों से मेल नहीं खाएंगी। जब मामला शुरू हुआ तब मैं 21 साल का युवा था। अब 43 साल का अधेड़ उम्र का हूं। आप तस्वीरों से अंतर देख सकते हैं। हो सकता है कि जब फैसला आये, तब छड़ी के साथ चलते हुए मेरी तस्वीर आपको मिले।’
टाइमलाइन
- 20/21 अप्रैल, 2000 : हरप्रीत कौर का निधन
- 9 जून 2000 : हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंपा
- 30 मार्च 2012: अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पटियाला ने बीबी जगीर कौर, निशान सिंह, परमजीत सिंह, दलविंदर कौर ढेसी को दोषी ठहराया
- 4 दिसंबर 2018 : हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया
- ..हो सकता है कि जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आये, तब छड़ी के साथ चलते हुए मेरी तस्वीर आपको मिले।’ -याचक पति