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अटारी-वाघा सीमा पर फंसे 21 पाकिस्तानी अपने देश लौटे

अमृतसर, 2 मई (एजेंसी) भारत छोड़ने की समय सीमा समाप्त होने के बाद अटारी-वाघा सीमा पर फंसे लगभग 21 पाकिस्तानी नागरिक शुक्रवार को अपने देश लौट गये। अटारी-वाघा सीमा बृहस्पतिवार को बंद कर दी गयी थी। इसके बाद करीब 70 पाकिस्तानी...
अमृतसर में अटारी बॉर्डर के पास चेकपोस्ट पर खड़ी पाकिस्तानी महिलाएं। -प्रेट्र
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अमृतसर, 2 मई (एजेंसी)

भारत छोड़ने की समय सीमा समाप्त होने के बाद अटारी-वाघा सीमा पर फंसे लगभग 21 पाकिस्तानी नागरिक शुक्रवार को अपने देश लौट गये। अटारी-वाघा सीमा बृहस्पतिवार को बंद कर दी गयी थी। इसके बाद करीब 70 पाकिस्तानी नागरिक अटारी सीमा पर कथित रूप से फंसे रह गये। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वह अपने नागरिकों को वाघा सीमा के जरिये लौटने की अनुमति जारी रखेगा।

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पाक भेजे जा रहे परिवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत

नयी दिल्ली (एजेंसी) : कश्मीर से पाकिस्तान भेजे जा रहे एक परिवार को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहत दी। अदालत ने कहा कि परिवार के खिलाफ पाकिस्तान भेजने जैसी कोई दंडात्मक कार्रवाई तब तक न करें, जब तक उनकी नागरिकता के दावों का सत्यापन नहीं हो जाता। न्यायालय अहमद तारिक बट और उनके परिवार के पांच अन्य सदस्यों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। परिवार का बेटा बेंगलुरु में काम करता है। परिवार पर वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रहने का आरोप है। वहीं, परिवार ने दावा किया है कि उनके पास वैध भारतीय दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें हिरासत में लिया गया और पाकिस्तान भेजने के लिए वाघा सीमा पर ले जाया गया।

चार बच्चों की बांग्लादेशी मां ने गुजरात में की दो शादियां

पाटन (एजेंसी) : गुजरात के पाटन जिले में दो बांग्लादेशी महिलाओं को फर्जी दस्तावेजों के जरिये आधार कार्ड हासिल कर अवैध रूप से यहां रहने के आरोप में हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि दोनों की पहचान सुल्ताना (32) एवं ब्यूटी बेगम ​​उर्फ रिया शाह (37) के रूप में हुयी है। दोनों महिलाएं 2022 में अवैध रूप से भारत में दाखिल हुईं और मूल पहचान छिपाकर पाटन शहर में बस गयीं और एक होटल में काम करने लगीं। बांग्लादेश में चार बच्चों की मां होने के बावजूद सुल्ताना ने अवैध प्रवास के दौरान गुजरात में दो बार शादी की और सूरत में अपनी दूसरी शादी के लिए प्रमाणपत्र भी हासिल किया। उसने कबूल किया कि बिहार के मूल निवासी मोहम्मद अली ने उसे सीमा पार करने में मदद की।

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