2020 Riots Case : दिल्ली दंगे मामले में हाई कोर्ट का कड़ा रुख, ताहिर हुसैन को नहीं मिली जमानत
हाई कोर्ट ने ताहिर हुसैन को जमानत देने से इनकार करते हुए आरोपों को गंभीर बताया
Advertisement
2020 Riots Case : दिल्ली हाई कोर्ट ने फरवरी 2020 के दंगों के दौरान आसूचना ब्यूरो (आईबी) के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत के आदेश ने एक प्रकार से इस अपराध की ‘‘अत्यधिक गंभीर'' प्रकृति को रेखांकित कर दिया है।
न्यायमूर्ति नीना कृष्णा बंसल ने कहा कि यह घटना मात्र एक ‘‘सहायक अपराध नहीं, बल्कि एक बड़ी साजिश का भयावह रूप'' है। अदालत ने कहा, ‘‘उग्र भीड़ द्वारा अंकित शर्मा को घसीटना, 51 बार वार करने के साथ उनकी निर्मम हत्या करना और उसके बाद शव को नाले में फेंक देना, अपराध की गंभीरता को दर्शाता है।'' फैसले में प्रथम दृष्टया पाया गया कि हुसैन की इन घटनाओं में ‘‘मुख्य भूमिका'' थी।
हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए आदेश में कहा, ‘‘इस घटना को बड़ी साज़िश के रूप में देखना आवश्यक है ताकि इसकी पूरी गंभीरता और इसमें याचिकाकर्ता (हुसैन) की प्रथम दृष्टया भूमिका को समझा जा सके।'' शिकायतकर्ता रविंदर कुमार ने 26 फरवरी, 2020 को दयालपुर पुलिस थाने के अधिकारियों को सूचित किया था कि आसूचना ब्यूरो में तैनात उनका बेटा अंकित शर्मा 25 फरवरी, 2020 से लापता है। बाद में उन्हें कुछ स्थानीय लोगों से पता चला कि एक व्यक्ति की हत्या करके चांद बाग पुलिया मस्जिद से उसका शव खजूरी खास नाले में फेंक दिया गया था।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि शर्मा का शव खजूरी खास नाले से बरामद किया गया था और उसके शरीर पर जख्मों के 51 निशान थे। यह इस मामले में हुसैन की पांचवीं जमानत याचिका थी। वह 16 मार्च 2020 से न्यायिक हिरासत (जेल) में है। इसके अलावा, चार अन्य आरोपियों को भी उस हिंसक भीड़ का हिस्सा बताया गया था, जो दंगे और आगज़नी में शामिल थी और जिन घटनाओं में शर्मा की मौत हुई थी।
अदालत ने कहा कि इस व्यापक साजिश का प्रमुख उद्देश्य संशोधित नागरिकता कानून/राष्ट्रीय नागरिक पंजी के ख़िलाफ़ भ्रामक धारणा फैलाकर बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा भड़काना था। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि हुसैन ने सुनियोजित तरीके से अपने परिवार को पहले ही सुरक्षित जगह भेज दिया था और उसके घर को ‘‘किले'' और हिंदू समुदाय के सदस्यों पर हमला करने के लिए आधार की तरह इस्तेमाल किया गया। उसके घर को इस वृहद साजिश में अहम प्रदर्शन और दंगा स्थल बताया गया।
अदालत ने कहा कि शर्मा की हत्या को एक अलग-थलग घटना या अचानक हुई हिंसा के रूप में नहीं देखा जा सकता बल्कि यह दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगों की बड़ी आपराधिक साजिश का सीधा परिणाम था। आदेश में कहा गया है कि यह एक पूर्व नियोजित और सुव्यवस्थित साजिश थी, जिसे कथित तौर पर कई आरोपियों ने रचा था और हुसैन इसका सरगना था। संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और कई घायल हो गए थे।
Advertisement
×