मुंबई ट्रेन धमाकों के 19 साल बाद सभी 12 आरोपी बरी
हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की विशेष पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपराध में प्रयुक्त बमों के प्रकार को रिकार्ड में लाने में भी असफल रहा। जिन साक्ष्यों पर उसने भरोसा किया, वह आरोपियों को दोषी ठहराने में विफल रहे हैं। गवाहों के बयान और आरोपियों के पास से कथित तौर पर की गयी बरामदगी का कोई साक्ष्य मूल्य नहीं है।
अदालत ने कहा, ‘यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने यह अपराध किया, इसलिए उनकी दोषसिद्धि रद्द की जाती है। अगर आरोपी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं, तो उन्हें जेल से तुरंत रिहा कर दिया जाए।'
पीठ ने अपने निर्णय में अभियोजन पक्ष के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने मामले में महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ नहीं की। अभियोजन ने बरामद सामान— विस्फोटक और बम बनाने में इस्तेमाल किए गए सर्किट बॉक्स की सीलिंग एवं रखरखाव भी सही से नहीं किया।
इकबालिया बयान और पहचान परेड खारिज
हाईकोर्ट ने कुछ आरोपियों के कथित इकबालिया बयानों को भी खारिज कर दिया और कहा कि ऐसा लगता है कि उन्हें यातना देने के बाद ये बयान लिए गए। अदालत ने आरोपियों की पहचान परेड को भी खारिज कर दिया और गवाहों के बयानों को विश्वसनीय एवं अभियुक्तों को दोषी ठहराने के लिए निर्णायक नहीं माना। विशेष अदालत ने जिन दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी, उनमें कमाल अंसारी (अब मृत), मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख, एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ खान शामिल थे। विशेष अदालत ने उन्हें बम रखने और कई अन्य आरोपों में दोषी पाया था। तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद मजीद मोहम्मद शफी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी, मुजम्मिल अताउर रहमान शेख, सुहैल महमूद शेख और ज़मीर अहमद लतीउर रहमान शेख को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी। एक आरोपी, वाहिद शेख को 2015 में निचली अदालत ने बरी कर दिया था।