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राजस्व में 15% इजाफा, 1103 करोड़ की हानि भी

हरियाणा विधानसभा में कैग रिपोर्ट पेश, कई खामियां गिनवाईं। तहसीलों की कार्यशैली पर उठाए सवाल
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दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 10 मार्च

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हरियाणा में पूर्व की मनोहर सरकार के समय राजस्व प्राप्तियों में बढ़ोतरी हुई। साल 2021-22 की अवधि में सरकार ने 15.59 प्रतिशत बढ़ोतरी राजस्व वसूली में की। हालांकि, बिक्री कर, राज्य उत्पाद शुल्क, स्टाम्प शुल्क व जमीनों के रजिस्ट्रेशन के लिए तय फीस के कुछ मामलों में खामियों के चलते सरकार को इस अवधि के दौरान 1103 करोड़ रुपये से अधिक की हानि भी हुई। हरियाणा के प्रधान महालेखाकार द्वारा सोमवार को विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट में यह आंकड़े सामने आये।

कैग रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 के दौरान 67,561 करोड़ रुपये की तुलना में 2021-22 के लिए सरकार की कुल प्राप्तियां 78091 करोड़ से अधिक रहीं। सरकार ने 10530 करोड़ रुपये यानी 15.58 प्रतिशत से अधिक राजस्व हासिल किया। इसमें 9722 करोड़ रुपये केंद्रीय करों से हरियाणा के हिस्से का शेयर और 7598 करोड़ रुपये सहायता अनुदान भी शामिल है।

कैग ने 2021-22 के दौरान बिक्री कर/ मूल्य वर्धित कर, राज्य उत्पाद शुल्क, स्टाम्प शुल्क व पंजीकरण फीस के 104 यूनिटों के 2552 मामलों की जांच की। आॅडिट के बाद रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मामलों में 1 हजार 103 करोड़ 94 लाख रुपये से अधिक की हानि सरकार को हुई। इसे हानि के साथ-साथ कैग रिपोर्ट में कम रिकवरी भी माना गया है। संबंधित विभागों ने 1077 मामलों में करीब 643 करोड़ रुपये की कम वसूली स्वीकार की।

कर निर्धारण प्राधिकारियों ने टैक्स का आकलन करते हुए योग्य वस्तुओं के बजाय कर मुक्त बिक्री के रूप में कटौती की अनुमति दी। इस वजह से करीब 5 करोड़ रुपये के टैक्स की वसूली कम हुई। इतना ही नहीं, 4 करोड़ 77 लाख रुपये का ब्याज भी सरकार को नहीं मिला। अधिकारियों ने 36 करोड़ 61 लाख के बजाय 27 करोड़ 97 लाख के टर्नओवर के मामलों का टैक्स निर्धारित किया। इससे भी करीब एक करोड़ की चपत खजाने को लगी।

नहीं वसूली 7.46 करोड़ की पेनल्टी

विभाग ने अवैध शराब के लिए अपराधियों से पेनल्टी वसूलने और आवंटियों से लाइसेंस फीस तथा ब्याज वसूलने की कोशिश नहीं की। इसकी वजह से 7 करोड़ 46 लाख रुपये से अधिक की रिकवरी ही नहीं हो पाई।

तहसीलों की भूमिका पर सवाल कैग रिपोर्ट में कई तहसीलों और रेवन्यू अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए गये हैं। स्टाम्प शुल्क व पंजीकरण फीस की कम वसूली और अन्य अनियमितताओं की वजह से 26 करोड़ रुपये का नुकसान सरकार को हुआ। 50 मामलों में किसानों को सरकार ने स्टाम्प शुल्क से छूट की अनुमति दी। लेकिन यह अनुमति मुआवजे से कृषि योग्य भूमि खरीदने के लिए ही दी गई थी। किसानों ने मुआवजे से रिहायशी व कमर्शियल जमीन खरीदी। इससे भी स्टाम्प व फीस से हानि हुई।

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