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धूम्रपान से हर साल 13.5 लाख भारतीय गंवाते हैं जान

तंबाकू से हर साल 13.5 लाख भारतीयों की मौत हो जाती है लेकिन व्यापक जागरूकता के बावजूद धूम्रपान छोड़ने की दर बहुत कम है। भारत में तंबाकू से संबंधित बीमारियों पर सालाना 1.77 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च पर...
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तंबाकू से हर साल 13.5 लाख भारतीयों की मौत हो जाती है लेकिन व्यापक जागरूकता के बावजूद धूम्रपान छोड़ने की दर बहुत कम है। भारत में तंबाकू से संबंधित बीमारियों पर सालाना 1.77 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च पर स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों ने धूम्रपान-मुक्त निकोटीन विकल्पों के उपयोग सहित नयी व विज्ञान-समर्थित हानि न्यूनीकरण रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया। दिल्ली के बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पवन गुप्ता ने बताया कि ‘क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज’ (सीओपीडी) या हृदय संबंधी जोखिम वाले रोगियों के लिए सिगरेट से परहेज करना महत्वपूर्ण है। गुप्ता ने कहा कि रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन (ब्रिटेन) की समीक्षा सहित वैज्ञानिक समीक्षाएं दर्शाती हैं कि निकोटीन युक्त गोलियां या फिर तंबाकू को जलाए बिना निकोटीन प्रदान करने वाले विकल्पों में धूम्रपान की तुलना में काफी कम जोखिम होता है। इस प्रमाण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ‘पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड’ नामक संस्था ने अनुमान लगाया कि धुआं-मुक्त निकोटीन विकल्प धूम्रपान की तुलना में 95 प्रतिशत तक कम हानिकारक हैं।

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