जितनी मात्रा में भोजन खायें उसके मुताबिक ही व्यायाम या श्रम किया जाये तो शरीर में पंच तत्वों का संतुलन बना रहेगा। कोई भी विकार-व्याधि पैदा नहीं हो पायेगी। वहीं रोगमुक्त रहने के लिए भोजन नियमों का पालन भी जरूरी है। डॉ. देवराज त्यागी से जानिये प्राकृतिक रूप से स्वस्थ जीवन जीने के मंत्र।
हमें बहुमूल्य शरीर मिला है परन्तु हम इसका मूल्य न समझकर सेहत बिगाड़ते जा रहे हैं। हमें अपने स्वास्थ्य की चिन्ता नहीं, अनाप-शनाप खाकर अपने शरीर का वजन बढ़ा रहे हैं। जितना हम खाते हैं उतना श्रम तो करते नहीं। आज ऑटोमैटिक-रिमोट का ज़माना है सारे काम पैसों के बल पर बिना श्रम के हो रहे हैं । इससे हम रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं। मेहनत से सेहत के जुड़े होने को लेकर एक एक लोक कथा भी है। एक राजा बीमार हो गया। अनेक तरह की दवाइयां खाने के बाद तथा इलाज कराने के बाद भी उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं हो पाया। वह निराश हो गया। एक दिन उसके राज्य में कोई सन्त आये। राजा ने उनसे बीमारी के बारे बात की तथा इलाज कराने के लिये प्रार्थना की। सन्त ने राजा को कहा कि आपका रोग किसी स्वस्थ व्यक्ति की कमीज पहनने से ठीक हो जायेगा। राजा ने राज्य में ढोल पिटवा दिया कि जो भी स्वस्थ व्यक्ति हो उसकी कमीज राजा को मिल जाये। लेकिन राज्य में एक भी स्वस्थ व्यक्ति नहीं मिला। राजा निराश होकर महल से चल दिया। नगर से काफी दूर उसे खेत में एक किसान मिला जो तपती दुपहरी में काम कर रहा था व पसीने से तर था। राजा ने उससे पूछा कि तुम स्वस्थ हो? किसान ने कहा -‘मुझे कोई रोग नहीं है’। राजा ने उससे उसकी कमीज देने की प्रार्थना की लेकिन किसान तो कमीज पहने ही नहीं था। राजा को यह सुनकर अन्तर्दृष्टि प्राप्त हुई और संत की बात समझी कि स्वस्थ रहने के लिये कमीज की नहीं बल्कि शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है। दरअसल हमारा शरीर पंच तत्वों से मिल कर बना है -पृथ्वी, वायु, आकाश, अग्नि एवं जल। इनमें से किसी भी तत्व के ज्यादा या कम होने पर शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है। जब भी शरीर में कोई कमी लगे तो इन तत्वों बारे विचार करके स्वास्थ्य का सुधार करना चाहिए।
भोजन नियमों से आरोग्य
शरीर में विकारों को संचित करने का प्रभाव गलत खान-पान से होता है जैसे कि स्वाद के लालच में ज्यादा खाना, बिना भूख लगे खाना , पहले भोजन के हजम हुए बिना दूसरा भोजन, गरिष्ठ व अधिक तला-भुना खाना, भोजन के साथ अधिक पानी पीना, चबा-चबा कर न खाना, अशांत मन व जल्दबाजी में भोजन करना, रात को देर से भोजन करना, खाते ही सोना व सारा दिन कुछ न कुछ खाते ही रहना।
छोटे-छोटे अहम टिप्स
पहली बात तो लहसुन-प्याज शरीर के खून की सफाई करते हैं। इसलिये इनका उपयोग करना सही रहता है। लहसुन तो जोड़ों के दर्द में लाभदायक होता है। ऐसे ही खीरा, टमाटर कच्चे खाने पर पेट के कीड़े दूर होते हैं। इसी तरह अंकुरित अनाज वृद्ध अवस्था को कम करते हैं। यह भी तथ्य है कि कैंसर एवं त्वचा रोग में नमक नहीं खाना चाहिए। स्वास्थ्य नियमों के मुताबिक, सब्जी काटकर न धोयें, पहले धोकर काटें नहीं तो मिनरल खत्म हो जाते हैं। वहीं हार्ट पेशेन्ट को कम तेल का भोजन करना चाहिए। बेहतर रहता है यदि भोजन चबा-चबा कर खाया जाये। शूगर के रोगी 9 किलो गेहूं में 1 किलो सोयाबीन आटे को मिक्स करें व उसकी रोटी खायें तो लाभकारी रहता है। आंत साफ रख्रने के लिए दांतों से चिपकने वाले पदार्थ नहीं खाने चाहिए। रात्रि का भोजन ताजा, हल्का, सुपाच्य, कम मात्रा में लेना चाहिए। शौच जाने से पहले 3-4 गिलास पानी पीना सेहत के लिए अच्छा है। वहीं तेज मिर्च, तले-भुने एवं खट्टे-चटपटे पदार्थों का सेवन कम करना चाहिये। परिश्रम और संयम मनुष्य के सर्वोत्तम चिकित्सक हैं। परिश्रम से भूख तेज होती है, संयम अतिभोग से रोकता है वहीं व्यायाम नीरोगी जीवन की जड़ी बूटी है।