दीप्ति अंगरीश
बच्चा ऑलराउंडर बनाना चाहते हैं तो उसके लिए उससे ज्यादा आपको मेहनत करनी होगी। जितना सशक्त बच्चे का शब्द-ज्ञान होगा, उतना आसानी से वह नई जानकारियां आत्मसात कर पाएगा।
आप चाहते हैं कि बच्चा चैंपियन बने। उसके लिए आपको अधिक मेहनत करनी होगी। अभी बच्चा छोटा है, तो उस पर बहुत कुछ थोपा नहीं जा सकता। साथ ही बच्चा किस किस क्षेत्र में करिअर बनाएगा, अभी कहना मुश्किल है। इस समय आपकी जिम्मेदारी है उसकी शब्दावली को मजबूत बनाने की। जान लें जितना मजबूत शब्दों का ज्ञान होगा, उतना बच्चे की जानकारियों को समझना आसान होगा। और फिर इसी के बलबूते बच्चा अच्छे स्कूल में एडमिशन से लेकर अव्वल आ सकता है। माना कि वोकैबुलरी यानी शब्दावली बोलने, सुनने, लिखने व पढ़ने से बढ़ती है। पर इसमें थोड़ी-सी मेहनत करके आप बच्चों में शब्दों के लिए विकिपिडिया बना सकते हैं। इसके लिए आप बच्चे की ऐसे मदद करें- उन्हें सुनाएं और साथ पढ़ें बच्चों को चैप्टर पढ़कर सुनाएं। बच्चे को खुद से पढ़ने को कहें। अब बच्चे से सवाल पूछें। इस क्रम में बच्चा नए-नए शब्द सीखेगा।
रोज बातें करें
कोशिश करें कि आप बच्चे से मातृभाषा, अंग्रेजी और हिंदी में रोज़ाना वार्तालाप करें। बातचीत रोचक बनाएं। मसलन खाना पकाते समय आप बच्चे को पास बुलाएं। उसे बताएं कि क्या-क्या सामग्री उसमें डाल रहे हैं। आप दैनिक कामों में उपलब्ध चीजों के नाम बताएंगे तो बच्चा जल्दी नए-नए शब्द सीखेगा। छूना, सुनना, सूंघना, देखना तथा चखना, सीखने के वह औजार हैं, जिनसे बच्चा अपने आसपास की दुनिया को परखने की कोशिश करता है।
कहानियाें से ज्ञान
बच्चे सुनकर जल्दी सीखते हैं। उनमें नए-नए शब्दों का ज्ञान भंडार खोलने के लिए उन्हें नई-नई कहानियां सुनाएं। इसके लिए आप सर्च इंजन की मदद भी ले सकते हैं। दूसरों को देखते और उनके जैसा बनते हुए छोटे बच्चे सामाजिक व्यवहार का तौर-तरीका सीखते हैं। वे सीखते हैं कि कौन सा व्यवहार ठीक है और कौन सा नहीं।
अपनी बोलचाल भी हो मधुर
बड़े-बुजुर्गों और अपने से बड़े बच्चों का उदाहरण बच्चे के व्यवहार और व्यक्तित्व के निर्माण में बड़ा असर डालता है। बच्चे दूसरों की नकल करके सीखते हैं, न कि दूसरों के बताने से कि यह करो। अगर बड़े चीखते-चिल्लाते और हिंसक व्यवहार करते हैं, तो बच्चे भी वही सीखेंगे। बड़े अगर दूसरों के साथ भलाई, इज्जत और धीरज के साथ पेश आते हैं, तो बच्चा भी इसे दोहरायेगा।