दुर्गेश मिश्र
15 अगस्त, 1947 को आजादी की खुशी के साथ ही विभाजन का भी गहरा जख्म मिला। विभाजन का यह दर्द दोनों ओर की जनता ने झेला। यही दर्द जब फिल्मी पर्दे पर उतरा तो लोगों के दिल और दिमाग पर खूब छाया। आइये बात करते हैं इस विषय पर बनीं कुछ महत्वपूर्ण फिल्मों के बारे में-
पाकिस्तानी फिल्म ‘फेरे’ (1949)
वर्ष 1949 में पाकिस्तानी फिल्मकारों ने फिल्म ‘फेरे’ का निर्माण किया। कहा जाता है कि उस समय 65000 रुपये में बनी ‘फेरे’ पाकिस्तान की पहली ऐसी फिल्म थी जिसने सिल्वर जुबली मनायी। इस फिल्म के मुख्य किरदारों में स्वर्ण लता और नजीर थे। स्वर्ण लता के बारे में कहा जाता है कि वह सिख परिवार से थीं जो बाद में इस्लाम कबूल कर सईदा बन गईं। हलांकि इससे पहले 7 अगस्त, 1948 को रिलीज हुई फिल्म ‘तेरी याद’ को पहली पाकिस्तानी फिल्म कहा जाता है। दाउद चंद द्वारा निर्मित इस फिल्म में दिलीप कुमार के छोटे भाई नासिर खान और आशा पोसले ने मुख्य भूमिका निभाई थी। ये दोनों फिल्में भारत-पाक विभाजन पर आधारित थीं।
भारतीय फिल्म ‘लाहौर’
विभाजन की विभिषिका को भारतीय फिल्मकारों ने पहली बार 1949 में सिल्वर स्क्रीन पर दिखाया। एमएल आनंद के निर्देश में बनी फिल्म ‘लाहौर’ में नरगिस और करन दिवान ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म की कहानी एक प्रेमी-प्रेमिका के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें दिखाया जाता है कि देश विभाजन के वक्त एक लड़की का कुछ बलवाई अपहरण कर उसे पाकिस्तान में रख लेते हैं जबकि उसका प्रेमी भारत आ जाता है। बाद में वह अपनी प्रेमिका (नरगिस) को लेने पाकिस्तान चला जाता है।
पंजाबी भाषा में ‘करतार सिंह’
‘फेरे’ और ‘लाहौर’ के करीब 10 साल बाद पाकिस्तानी सिनेमाघरों में ‘करतार सिंह’ रिलीज हुई। पाकिस्तान में बनी यह फिल्म मूलत: पंजाबी भाषा में थी। सैफुद्दीन के निर्देशन में बंटवारे पर बनी इस फिल्म को लोगों ने काफी पंसद किया। पाकिस्तान के बड़े हिस्सों में आज भी पंजाबी बोली जाती है। फिल्म ‘करतार सिंह’ की कहानी से ‘बजरंगी भाईजान’ की कहानी प्रेरित है। पाकिस्तानी फिल्म ‘करतार सिंह’ में अविभाजित भारत के पंजाब के एक गांव की कहानी को रेखांकित किया गया है। इसी तरह 1967 में एक और पाकिस्तानी फिल्म आई ‘लाखों में एक’। इस फिल्म का निर्देशन रजा मीर ने किया था। विभाजन के 20 साल बाद की कहानी को फिल्म में दिखाया गया है।
‘गर्म हवा’ में झलकी टीस
वर्ष 1973 में बनी फिल्म ‘गर्म हवा’ पूरी तरह से देश विभाजन पर आधारित थी। इसमें एक तरफ प्रेम कहानी दिखाई गई तो दूसरी तरफ एक नया देश पाकिस्तान बनने के बाद भारत में रह गए मुसलमानों के अन्तर्द्वन्द को। इसमें यह भी दिखाया गया है कि जिन्ना की जिद से पाकिस्तान बनने के बाद दो प्रेमी भी सरहदों में बंट जाते हैं।
‘तमस’ में दंगों का खौफनाक मंजर
वर्ष 1987 में प्रसिद्ध लेखक भीष्म साहनी के उपन्यास ‘तमस’ पर अधारित फिल्म बनी। तमस मूलत: पंजाबी उपन्यास है। मशहूर फिल्मकार गोबिंद निहलानी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में दिखाया गया है कि देश विभाजन के दौरान कुछ लोग दंगे भड़काते हैं। इस फिल्म में खुद भीष्म साहिनी, ओम पुरी और एके हंगल ने शानदार अभिनय किया है। देश विभाजन पर बनी फिल्मों में इस फिल्म को काफी सराहा जाता है। हलांकि इससे पहले 1986 में इसी नाम (तमस) से गोविंद निहलानी दूरदर्शन के लिए धारावाहिक भी बना चुके थे।
‘गांधी’ और ‘हे राम’ में भी विभाजन का दर्द
बेन किंग्सले अभिनीत 1982 में आई ‘गांधी’ और साल 2000 में रिलीज हुए कमल हासन के निर्देशन में बनी ‘हे राम’ भी देश विभाजन पर आधारित फिल्में थीं। फिल्म गांधी में आजादी आंदोलन से देश विभाजन और महात्मा गांधी की हत्या तक के दृश्य हैं। ‘गांधी’ के करीब 18 साल बाद आई हेमा मालीनी, रानी मुखर्जी और शाहरुख खान अभिनीत ‘हे राम’ में भी देश विभाजन के दर्द को महसूस किया गया है।
रावलपिंडी दंगों पर ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’
यह फिल्म प्रसिद्ध पत्रकार स्वर्गीय खुशवंत सिंह के अंग्रेजी उपन्यास पर आधारित है। पंजाबी पृष्ठभूमि पर बनी ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ में भी भारत विभाजन की तस्वीर को पर्दे पर उतारा गया है। कहा जाता है कि यह उपन्यास विभाजन के दौरान रावलपिंडी (अब पाकिस्तान) में हुए दंगों और वहां से ट्रेनों में भरकर अमृतसर भेजी गई लाशों को केंद्रित कर लिखा गया था। इस फिल्म में भी विभाजन के दंश के साथ-साथ एक जुलाहे की लड़की और सिख युवक की प्रेम कहानी दिखाई गई है।
‘पिंजर’ में महिला कसक
डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में बनी यह फिल्म पंजाबी की मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम के उपन्यास ‘पिंजर’ पर आधारित है। उर्मिला मांतोडकर, मनोज बाजपेयी और संजय सूरी अभिनीत यह फिल्म देश विभाजन पर आधारित है। पंजाब की पृष्ठभूमि पर आधारित इस फिल्म की कहानी में दिखाया गया है कि देश के बंटवारे के वक्त एक युवती परिवार से बिछड़ जाती है। उसे किसी धर्म का युवक अपने पास रखता है और उससे शादी करता। फिल्म में बंटवारे की विभिषीका झेल रही महिलाओं के अन्तर्द्वन्द की कहानी है। आज भी पंजाब में बहुत सी औरतें मिल जाएंगी जिनके परिजन बंटवारे के वक्त पाकिस्तान चले गए थे। फिल्म ‘गदर एक प्रेम कथा’ जिसने भी देखी होगी उसे आज भी इस फिल्म के डॉयलाग, गीत और कहानी याद होगी। इस फिल्म की शूटिंग लखनऊ, अमृतसर और पठानकोट में हुई थी। सनी देयोल और अमीसा पटेल अभिनीत यह फिल्म भी भारत-पाकिस्तान बंटवारे पर आधारित है। इसी तरह भारत विभाजन पर ही आधारित गुरिंदर चड्ढा के निर्देशन में बनी फिल्म ‘पार्टीशन 1947’ आई थी। हिंदी और अंग्रेजी में बनी यह फिल्म मूल रूप से ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ किताब पर आधारित थी। इसी फिल्म को अंग्रेजी में ‘द वायसरॉय हाउस’ नाम से बनाया गया है।
दोनो देशों में रिलीज हुई ‘खामोश पानी’
साल 2003 में एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संबंधों पर आधारित फिल्म आई ‘खामोश पानी’। यह फिल्म दोनों देशों में एक साथ रिलीज हुई। इस फिल्म का निर्देशन किया था साहिब सुमर ने। हलांकि भारत-पाकिस्तान विभाजन पर जितने अधिक उपन्यास और कहानियां ऊर्दू और पंजाबी कथाकारों ने लिखी हैं शायद फिल्में उतनी नहीं बन पाई हैं। वैसे विभाजन का दर्द आज भी कहानी, कविता, उपन्यास के रूप में लोगों के सामने आता है। उस दौर का खौफनाक मंजर अनेक लोगों के जेहन में है। अब भी फिल्में इस विषय पर बनती रहती हैं।