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पहला रोल था स्कूटर पर पीछे बैठकर सोने का

बाल कलाकार आरुष नंद दस-बारह फीचर फिल्मों व करीब डेढ़ सौ एड फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। आरुष बतौर वॉयस ओवर आर्टिस्ट सक्रिय हैं। वे बॉलीवुड व हॉलीवुड दोनों जगह अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं। खास बात यह कि...
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बाल कलाकार आरुष नंद दस-बारह फीचर फिल्मों व करीब डेढ़ सौ एड फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। आरुष बतौर वॉयस ओवर आर्टिस्ट सक्रिय हैं। वे बॉलीवुड व हॉलीवुड दोनों जगह अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं। खास बात यह कि वे पढ़ाई पर भी बराबर ध्यान दे रहे हैं।

शान्तिस्वरूप त्रिपाठी

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फिल्म ‘परमाणु’ में जॉन अब्राहम के बेटे और ‘तान्हाजी’ में अजय देवगन के बेटे रायबा का किरदार निभाने के अलावा बाल कलाकार आरुष नंद दो मराठी व दो इंटरनेशनल फिल्मों व 160 एड फिल्मों में अभिनय किया। इसके अलावा ‘द लॉयन किंग’ सहित अनगिनत फिल्मों में वॉयस ओवर कर चुके हैं। बारह वर्षीय बाल कलाकार आरुष नंद इन दिनों मुंबई में गुंडेचा हाईस्कूल में आठवीं कक्षा के छात्र हैं। अपनी अभिनय प्रतिभा व आवाज की जादूगरी के चलते वह बॉलीवुड में स्टार हैं।

आपने पहले वॉयस ओवर करना शुरू किया था या अभिनय?

मेरे कैरियर की शुरुआत एड फिल्मों में अभिनय करने से हुई थी। जब मेरी उम्र लगभग तीन वर्ष की रही होगी, तब मैं अपनी मम्मी के साथ एक शॉपिंग मॉल में गया, जहां पर हमें एक कास्टिंग मैनेजर मिला। उसने मेरी मम्मी से कहा कि अपने बेटे से अभिनय करवाइए। मम्मी ने मना कर दिया। वे नहीं चाहती थी कि मेरी पढ़ाई में कोई व्यवधान आए। दो वर्ष बाद फिर वह मैनेजर मिला। उसने एक बार फिर मम्मी के सामने प्रस्ताव रखा व समझाया कि किस तरह काम करने से पढ़ाई का भी नुकसान नहीं होगा। मेरी मां उसकी बात मान गयीं। उसके बाद मैंने सबसे पहले एक एड फिल्म की थी जिसमें मुझे स्कूटर पर पीछे बैठकर सोने का अभिनय करना था। इस एड फिल्म से मुझे काफी लोग जानने लगे। फिर मैं मम्मी के साथ ऑडिशन देने जाने लगा व मुझे एक के बाद एक एड फिल्म मिलने लगी। हर ऑडिशन में हमें स्क्रिप्ट दी जाती है,जिसे हमें याद करना होता है। इस वजह से मेरी याद करने की क्षमता विकसित हुई, जिसने पढ़ाई में भी मेरी मदद की। मैंने ताज, मर्सडीज सहित 150 प्रोडक्ट के लिए मॉडलिंग की है। अब तक 150 विज्ञापन फिल्मों व दस-बारह फीचर फिल्मों में अभिनय कर चुका हूं।

फीचर फिल्मों में अभिनय का मौका कैसे मिला?

हम एड के लिए ऑडिशन देने जाते रहते थे। एक बार मेरी मां व मैं एक कास्टिंग डायरेक्टर के आफिस में ऑडिशन देने गए थे। ऑडिशन देने के बाद पता चला कि यह ऑडिशन फिल्म ‘परमाणु’ के लिए था। मेरा चयन हो गया और मैंने इस फिल्म में जॉन अब्राहम के बेटे का किरदार निभाया था। ‘परमाणु’ के बाद मैंने अजय देवगन के साथ फिल्म ‘तान्हा जी’ में अभिनय किया। इसमें मैंने उनके बेटे रायबा का किरदार निभाया था। फिर मैंने मराठी भाषा की फिल्म ‘वसंतराव देशपांडे’ की। यह उनकी बायोपिक फिल्म है। इसमें मैंने उनके बचपन का किरदार निभाया था। फिर स्वप्निल जोशी के साथ मराठी फिल्म ‘समानांतर’ की। इसके अलावा मैंने दो हॉलीवुड फिल्में की हैं। जिसमें से एक दीपा मेहता निर्देशित फिल्म ‘फनी ब्वॉय’ है। स्वाति भिसेकर की फिल्म ‘द क्वीन आफ झांसी’ में मैंने रानी लक्ष्मी बाई के बेटे का किरदार निभाया।

वॉयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कब काम करना शुरू किया?

मैंने सबसे पहले 2019 में प्रदर्शित फिल्म ‘लॉयन किंग’ के लिए वॉयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में काम करते हुए यंग सिंबा को अपनी आवाज दी थी। इसके बाद ‘जो जो रॉबर्ट’ में मैंने जो जो को अपनी आवाज दी। ‘रेजिंग डिओन’ में डिओन को आवाज दी। ‘स्टील वोटर’ में काल को,‘डग अनप्लक्स’ में डग को, ‘लोक एंड की’ में लोक को आवाज दी। इसके अलावा अनगिनत किरदारों को आवाज दे चुका हूं। कार्टून फिल्म ‘भैयाजी बलवान’ में लीड किरदार की आवाज डब की है। ‘हीरो और रोरो’ में माचो मेरी आवाज है।

डबिंग की शुरुआत कैसे हुई?

एक दिन मेरे एक दोस्त की मम्मी ने मेरी मम्मी को फोन करके बताया कि ‘साउंड एंड विजन’ स्टूडियो को एक किरदार की डबिंग के लिए बच्चे की तलाश है, तो तुम आरुष को लेकर जाओ और मिल लो। यह स्टूडियो हमारे घर के पास में ही है। उन्होंने मेरा ऑडिशन लिया व चयन हो गया। और सबसे पहले मुझे ‘लायन किंग’ में सिंबा के किरदार के लिए डबिंग करने का काम मिला। उसके बाद अब तक 70 से अधिक फिल्मों के लिए वॉयस ओवर कर चुका हूं।

किसी किरदार को आवाज देनी हो या डबिंग करनी हो तो किस तरह की तैयारी करते हो?

हम पहले से कोई तैयारी नहीं कर सकते। क्योंकि हर फिल्म बहुत ही ज्यादा कॉन्फिडेंशियल होती है। इसलिए हमें पहले से स्क्रिप्ट नहीं मिलती। जब हम डबिंग स्टूडियो पहुंचते हैं,तब पहले वह हमें किरदार के बारे में समझाते-दिखाते हैं। फिर हमें स्क्रिप्ट देते हैं। उसके बाद हमें उसकी आवाज सुनाते हैं। तब हमें मैच करती हुई आवाज के साथ डबिंग करनी होती है।

वसंतराव देशपांडे के बचपन का किरदार निभाने के बाद आपके अंदर संगीत या गायन के प्रति कोई रुचि पैदा हुई?

सच तो यही है कि मुझे गायन या संगीत में कभी रुचि नहीं रही। लेकिन फिल्म ‘मी वसंतराव’ में अभिनय करने के बाद मेरे अंदर संगीत की थोड़ी सी समझ विकसित हुई। क्योंकि मैंने तबला बजाना और गायन भी सीखा। पर गीत लिखना,उसे गाना,संगीत इंस्ट्रूमेंट आदि बजाना आसान नहीं होता।

नया क्या कर रहे हो?

रोहित शेट्टी की वेब सीरीज ‘इंडियन पुलिस फोर्स’ में भी अभिनय किया है।

भविष्य में क्या बनना है?

मैं बड़ा होकर अभिनेता,डबिंग आर्टिस्ट, वॉयस ओवर आर्टिस्ट,साउंड इंजीनियर के साथ ही बिजनेसमैन बनना चाहता हूं। मुझे खुद का साउंड स्टूडियो खोलना है।

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