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तापसी ने छोड़ा अब ऑफबीट का मोह

असीम चक्रवर्ती अभिनेत्री तापसी पन्नू ने हाल ही में राजकुमार हिरानी की फिल्म ‘डंकी’ की शूटिंग शुरू की है। शाहरुख की इस फिल्म में तापसी की अहम भूमिका है। वैसे देखा जाए,तो अपने पंद्रह साल के कैरियर में तापसी की...
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असीम चक्रवर्ती

अभिनेत्री तापसी पन्नू ने हाल ही में राजकुमार हिरानी की फिल्म ‘डंकी’ की शूटिंग शुरू की है। शाहरुख की इस फिल्म में तापसी की अहम भूमिका है। वैसे देखा जाए,तो अपने पंद्रह साल के कैरियर में तापसी की यह बड़ी उपलब्धि है। सच तो यह कि अपने इन वर्षों में अपनी तमाम कोशिश के बावजूद तापसी स्टारडम के किसी बड़े मुकाम को हासिल नहीं कर पाई हैं। क्योंकि इस दौरान उनकी जो भी फिल्में आई हैं,उनका रिजल्ट कुछ खास नहीं रहा है। ऐसे समय में उनके लिए हिरानी की फिल्म डंकी एक उम्मीद की किरण बन कर सामने आ सकती है।

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चूक से सबक लिया

तापसी भले ही इस बात को कबूल न करें,पर उनकी बड़ी चूक थी कि वह ऑफबीट फिल्मों में भरोसा करती रहीं, और इन फिल्मों ने हमेशा उनके साथ छलावा किया। ये फिल्में धड़ाधड़ फ्लॉप होती रही। इस तरह उनका कैरियर ग्राफ लगातार गिरता रहा। उनकी ऐसी फिल्मों ने अब भी उनका दामन नहीं छोड़ा है। लेकिन अब लगता है कि तापसी इस सम्मोहन से एक हद तक बाहर निकल आई है। उनके निंदक कुछ भी कहते रहें,मगर वह नए उत्साह से भरी हुई हैं। ‘डंकी’ के रोल की चर्चा करने पर वह सिर्फ इतना बताती हैं,‘चैलेंजिंग रोल के लिए हर एक्टर पूरे समर्पण से तैयारी करता है। मैं भी अपना श्रेष्ठ देने की कोशिश कर रही हूं।’

टिकट खिड़की अहम होती है

हमेशा की तरह इस समय भी उनके पास तीन-चार और फिल्में हैं,मगर अब तापसी उन फिल्मों का जिक्र भी नहीं करना चाहती हैं। वह कहती हैं,‘ लोग लाइम लाइट में आने के लिए मेहनत भी बहुत कड़ी करते हैं। इसलिए अब बिना वक्त गवांए,मैं कुछ ऐसा करना चाहती हूं,जिसकी तारीफ मेरे फैन भी करें।’ उनकी बातचीत में संजीदापन हमेशा साफ झलकता है। इसलिए फिल्म से इतर जिंदगी से जुड़े कई दूसरे सवालों का जवाब भी बेबाकी से देती हैं। हीरो-हीरोइन की पोजिशन को लेकर भी वह काफी सचेत हैं। कहती हैं,‘ इस बारे में मेरी सोच बिल्कुल जुदा है। देखिए पोजिशन की बातें तय करते समय हमें एक ही बात अपने जेहन में रखनी पड़ती है। कितने दर्शक मेरे लिए टिकट खरीदकर हाल में सिनेमा देखने आ रहे हैं। यदि मैं फिल्म के बिजनेस को समान रूप से हीरो की तरह प्रभावित नहीं कर पा रही हूं। तब ज्यादा अहमियत पाने की ख्वाहिश करना निर्माताओं के लिए टेंशन बढ़ाने के अलावा कुछ भी नहीं है। यह निर्माताओं का नहीं, समाज का दोष है। पुरुष-महिला का भेदभाव लोगों के मन से न जाने पर निर्माताओं को दोष देना ठीक नहीं होगा।’

अवार्ड के पीछे क्यों भागना

फिल्मी अवार्ड को लेकर भी उनके मन में कोई कुंठा नहीं है। वह दो टूक कहती हैं,‘अपने कैरियर के शुरुआती दौर की फिल्म ‘बेबी’ के मेरे रोल की सभी ने बहुत तारीफ की थी। लेकिन उस साल किसी अवार्ड की बात जाने दें,मुझे नॉमिनेशन तक नहीं मिला। एक्शन कैटेगरी में भी नहीं। जबकि ऐसी नायिकाओं को अवार्ड मिला,जिन्होंने खुद को दिखाने के अलावा कुछ भी नहीं किया था। उसके बाद से अवार्ड से मेरा विश्वास उठ गया है। मैं अवार्ड नहीं चाहती हूं,सिर्फ लोगों का प्यार चाहती हूं।’

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