नयी दिल्ली, 21 जनवरी (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर भविष्य में अभिनेत्री कंगना रनौत के सभी पोस्ट पर रोक लगाने, सिख समुदाय के खिलाफ बयान को लेकर उनके खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने और मुंबई पुलिस से जांच कराने का अनुरोध करने वाली उनकी (रनौत की) याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से उनके (अभिनेत्री) द्वारा दिये गये बयानों को नजरअंदाज करने या कानून के तहत राहत पाने को कहा।
शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता, सिख समुदाय का सदस्य, एक आम व्यक्ति होने के नाते कई प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की मांग नहीं कर सकता और सिर्फ आरोपी या शिकायतकर्ता इस तरह की राहत मांग सकता है। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता चरणजीत सिंह चंदरपाल से कहा कि वह जो राहत मांग रहे हैं, उसे संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नहीं दिया जा सकता और उन्हें फौजदारी कानून के तहत राहत लेनी होगी। चंदरपाल ने कहा कि अभिनेत्री की बयानबाजी जारी है और उनका यह बयान कि ‘सिख किसान खालिस्तानी आतंकवादी थे’ अपमानजनक है। उन्होंने यह भी कहा कि रनौत ने समुदाय को राष्ट्र विरोधी चित्रित करने की कोशिश की।