हिंदी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री दीप्ति नवल आजकल अपनी अंग्रेजी में लिखी पुस्तक ‘ए कंट्री काल्ड चाइल्डहुड’ को लेकर चर्चा में हैं। उनसे इस पुस्तक, आने वाली फिल्मों आदि विषयों पर कमलेश भारतीय की बातचीत।
मैं अगले जन्म में अंतरिक्ष यात्री बनना चाहूंगी। यह कहना है प्रसिद्ध अभिनेत्री दीप्ति नवल का। वैसे उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि मैंने इरादा किया था कि फिल्म अभिनेत्री ही बनूंगी और यदि न बन पाई तो ‘नन’ बन जाऊंगी। अंग्रेजी में लिखी इनकी नयी पुस्तक -‘ए कंट्री काल्ड चाइल्डहुड’ से चर्चित दीप्ति नवल ने बताया कि यह किताब एक ड्रीम प्रोजेक्ट था, जो तीन वर्ष में पूरा हुआ।
इसका क्या विषय है?
मेरे बचपन की यादें जो मैंने अमृतसर में बिताया। लगभग अठारह वर्ष। इसमें भारत-पाक विभाजन , सन 1965, 1967 के युद्ध और स्कूल-कॉलेज के दिनों की शरारतें- सब समेटने की कोशिश रही।
इससे पहले आपका काव्य-संग्रह ‘लम्हा लम्हा’ भी आया। तो हिंदी में कौन से लेखक प्रिय हैं?
हिंदी ज्यादा नहीं पढ़ पाती, पर यह बता दूं कि आजकल जापानी लेखक मुरोकामी को पढ़ रही हूं।
अब आगे क्या योजना है?
नये सिरे से देखूंगी। अभी तो खामोश ही रहना चाहूंगी।
अभी आपकी कोई फिल्म आने वाली है?
अंग्रेजी में -‘गोल्डन फिश’। इसमें मां-बेटी की कहानी है जिसमें मेरी और कल्कि कोचलीन की भूमिकाएं हैं। दो-चार महीने में रिलीज हो जायेगी। इसी तरह ‘क्रिमिनल जस्टिस’ वेब सीरीज में काम किया और ‘पवन एंड पूजा’ आ चुकी है।
आजकल ओटीटी, वेब सीरीज और स्टेज ऐप आ जाने से थियेटर में फिल्मों के दर्शक कम नहीं हो जायेंगे?
इनका बहुत योगदान है। अब फिल्में डिब्बे में बंद नहीं रहतीं। अब अच्छी फिल्में इन मंचों पर देखने को मिल रही हैं।
‘समांतर सिनेमा ‘ तक ही सीमित कर दिये जाने का कोई मलाल तो नहीं?
‘साथ -साथ’, ‘चश्म ए बद्दूर’, ‘कथा’- ये मेरी फिल्में कमर्शियल फिल्में ही तो थीं और इन्हें खूब पसंद किया गया। हां, इस तरह बांटना ठीक नहीं। मैंने नाच-गाने की बजाय उन फिल्मों को चुना जिनमें गहराई थी।
फिल्मों में नये-पुराने अभिनेताओं में से किसको पसंद करती हैं?
राजकपूर। बहुत बड़ी फैन हूं इनकी। ‘जिस देश में गंगा बहती है’ और ‘जागते रहो’ फिल्में बहुत पसंद हैं। बलराज साहनी की भी फैन रहीं।