Manoj Bajpayee : ‘जुगनुमा’ बनी मनोज बाजपेयी की जिंदगी की रोशनी, बोले - हर परेशानी का मिल गया जवाब
Manoj Bajpayee : अभिनेता मनोज बाजपेयी का कहना है कि उनकी नयी फिल्म ‘जुगनुमा' ने उन्हें खुद से और अपने उद्देश्य की भावना से फिर से जुड़ने में मदद की है क्योंकि यह प्रोजेक्ट उनके पास ऐसे समय में आया था जब वह अस्तित्व संबंधी सवालों से घिरने के कारण बेचैनी और अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे थे।
अभिनेता ने ‘द फैमिली मैन' के लिए चयनित किये जाने के बावजूद लगभग एक साल का विराम लेने की बात को याद किया, क्योंकि वह खुद को अपने उद्देश्य, अपने काम और यहां तक कि दैनिक जीवन की दिनचर्या पर भी सवाल उठाते हुए पा रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने जीवन के एक ऐसे मोड़ पर था, जब सवाल बहुत गंभीर होते जा रहे थे, और वे सभी अस्तित्व संबंधी मुद्दे थे। मैं बहुत परेशान था। यह इतना परेशान करने वाला था कि मैंने आठ से 10 महीनों तक काम करना बंद कर दिया, लगभग कोई फिल्म नहीं, कुछ भी नहीं।''
बाजपेयी ने ‘पीटीआई-भाषा' को एक साक्षात्कार में बताया, ‘‘मैं कुछ नहीं कर रहा था। ‘द फैमिली मैन' के मामले में तारीखें एक साल बाद थीं, उस एक साल के लिए मैंने काम नहीं किया।'' अभिनेता और उनका परिवार अभी-अभी एक नए घर में स्थानांतरित हुए थे, जो मरम्मत के दौर से गुजर रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम एक नई सोसायटी में आ गए, समाज नया था। लेकिन सवाल मेरे लिए बहुत अधिक परेशान करने वाले थे, मुझे जवाब ढूंढ़ना था और मैं नहीं ढूंढ़ पा रहा था।'' इसी बेचैनी की स्थिति में ‘जुगनुमा' की पटकथा आई। ‘तिथि' से प्रसिद्ध राम रेड्डी द्वारा निर्देशित यह फिल्म जादुई यथार्थवाद से ओतप्रोत है, जो पीढ़ीगत आघात, गांव की किंवदंतियों और रहस्यवाद जैसे विषयों को छूती है।
बाजपेयी ने कहा कि उन्होंने इसे एक बार, फिर दो बार पढ़ा, और महसूस किया कि यह सीधे उनके संघर्षों से जुड़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा कि मैं जिन परिस्थितियों से गुजर रहा था, और जिन सभी प्रश्नों को मैं देख रहा था, यह फिल्म मेरे लिए सब कुछ हल कर देगी।''
देशभर के सिनेमाघरों में शुक्रवार को रिलीज हुई ‘जुगनुमा' को पिछले साल खूब तारीफ मिली थी, बर्लिन और लीड्स अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में इसे प्रशंसा मिली थी - जहां इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला था और मुंबई के ‘मामी (एमएएमआई) फिल्म महोत्सव' में विशेष जूरी पुरस्कार भी मिला था।