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22 साल की उम्र में हो गयी थी 'महारथी' की रचना

सात्विक आर्ट सोसाइटी की ओर से टैगोर थियेटर में हुआ मंचन
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चंडीगढ़, 24 मई (ट्रिन्यू)

हुनर को मंच मिलता है तो सपने उड़ान भरते हैं। ऐसा ही हुआ नाटक 'महारथी' के रचनाकार के साथ। इस नाटक का मंचन सात्विक आर्ट सोसाइटी ने मिनी ऑडिटोरियम, टैगोर थिएटर में किया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि पहुंचे विभांशु वैभव। मंच संचालन राजेश अत्रेय, सचिव- चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी ने किया। मंचन‌ शनिवार को हुआ, जबकि रविवार को लेखक के साथ बातचीत।

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गौर हो कि विभांशु वैभव देश के प्रसिद्ध नाटककार हैं। इनके कई नाटकों में से एक है महारथी, जिसका मंचन उन्हीं के सामने रविवार को को सात्विक आर्ट्स द्वारा किया गया। विभांशु ने बताया कि वह एक नौकरशाह परिवार से हैं। अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य बने जिन्होंने ग़ैर पारंपरिक व्यवसाय रंगमंच को चुना।

कई वर्षों तक रंगमंच का सक्रिय हिस्सा रहने के बाद उन्होंने लगभग एक दशक तक मुंबई में कई प्रसिद्ध धारावाहिकों का लेखन किया। लेकिन वे हमेशा समय निकाल कर रंगमंच के साथ जुड़े रहने का प्रयास करते रहे। वे आज भी ख़ुद को रंगमंच के लिए उपस्थित रखने की पूरी कोशिश करते हैं। उनका मानना है कि किसी भी कार्य को करने के लिए मन में निष्ठा और जिज्ञासा होनी चाहिए। करने भर के लिए कर दिया गया कार्य कभी सफ़ल नहीं हो पाता।

दावा किया गया कि उनके नाटक महारथी के लिए कई प्रसिद्ध कलाकार मनोज बाजपेयी, आशीष विद्यार्थी, सौरभ शुक्ला, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, जतिन सरना आदि अभिनय कर चुके हैं। वह अपने नाटकों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की कोशिश करते हैं। इनके लिखे प्रसिद्ध नाटक- महारथी, बाबूजी, कहो तो बोलूं , गुंडा , पांचाली, मंथन, फट्टू कॉमरेड, आत्माराम आदि हैं। कार्यक्रम में उन्होंने दर्शकों के सवालों के जवाब भी दिए।

 

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