लॉस एंजिलिस (अमेरिका), 11 जून (एजेंसी) मशहूर गायक जस्टिन बीबर ने कहा कि उनके आधे चेहरे को लकवाग्रस्त करने वाले एक दुर्लभ विकार के कारण उन्होंने अपना टूर स्थगित कर दिया है। कई ग्रैमी पुरस्कार जीतने वाले बीबर ने शुक्रवार को इंस्टाग्राम पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में कहा कि वह रैमसे हंट सिंड्रोम से पीड़ित हैं। इस सिंड्रोम के कारण चेहरे को लकवा मार जाता है। बीबर ने यह खुलासा ऐसे समय में किया है, जब उन्होंने टोरंटो और वाशिंगटन डीसी में प्रस्तावित अपने कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। गायक ने वीडियो में दिखाया कि वह अपना एक तरफ का चेहरा बमुश्किल हिला पाते हैं और उन्होंने इस बीमारी को ‘काफी गंभीर’ बताया है। बीबर ने कहा, ‘जो लोग मेरा अगला कार्यक्रम रद्द होने के कारण नाराज हैं, उन्हें बता दूं कि मैं शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हूं। मेरा शरीर मुझसे कह रहा है कि मुझे थोड़ा थमना चाहिए। मैं उम्मीद करता हूं कि आप लोग समझेंगे।’ बीबर ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि उन्हें ठीक होने में कितना समय लगेगा, लेकिन वह आराम और थेरेपी के जरिये पूरी तरह से स्वस्थ होने को लेकर आश्वस्त हैं। गौरतलब है कि मार्च में बीबर की पत्नी हेली मस्तिष्क में खून का थक्का जमने की शिकायत के कारण अस्पताल में भर्ती हुई थीं।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।