नयी दिल्ली, 27 मार्च (एजेंसी) दूरदर्शन पर पहली बार ‘महाभारत’ का प्रसारण हुए 3 दशक से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन रूपा गांगुली को अब भी यह बखूबी याद है कि किस तरह प्रत्येक दिन सुबह-सुबह उन्हें मुंबई की फिल्म सिटी पहुंचना होता था, ताकि मेकअप कलाकार को उन्हें ‘द्रौपदी’ की भूमिका के लिए तैयार करने में पर्याप्त समय मिल सके। अभिनेत्री से राजनेता बनी गांगुली (55) ने 1980 के दशक के अंत में इस धारावाहिक के निर्माण के दिनों को याद किया और स्वीकार किया कि शूटिंग के व्यस्त कार्यक्रम को लेकर वह टीवी पर इस धारावाहिक को नहीं देख सकी थीं। उन्होंने कहा, ‘मैंने आखिरकार यह धारावाहिक उस वक्त देखा, जब कोविड-19 महामारी के चलते लॉकडाउन लागू रहने के दौरान टीवी पर ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ का पुन:प्रसारण किया गया। और मैंने इसका सचमुच में आनंद उठाया। इसने मुझे शूटिंग के दिनों की याद दिला दी।’ कोलकाता में जन्मीं और मौजूदा राज्यसभा सदस्य गांगुली ने कहा, ‘हर दिन सुबह-सुबह, जुहू स्थित अपने होटल से मुझे फिल्म सिटी पहुंचना होता था और सुबह 5 बजे तक मुझे मेकअप कक्ष में उपस्थित होना पड़ता था। शूटिंग सुबह 7 बजे शुरू हुआ करती थी और मेरा मेकअप तथा केश-सज्जा करने में हर दिन कम से कम डेढ़ घंटा या इससे ज्यादा समय लगता था।’ उन्होंने साक्षात्कार में कहा, ‘और, मेरे लंबे बाल थे तथा हमें विशेष परिधान एवं कई सारी अन्य चीजें भी पहननी पड़ती थी जिसमें समय लगता था। इसलिए, मुझे अन्य कलाकारों से पहले पहुंचना पड़ता था।’ निर्माता-निर्देशक बी आर चोपड़ा और रवि चोपड़ा टीवी पर महाभारत लेकर आये थे और 1990 तक दो साल दूरदर्शन पर इसका प्रसारण हुआ था। प्रत्येक रविवार, सुबह इसे प्रसारित किया जाता था।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।