लॉस एंजिलिस (अमेरिका), 28 मार्च (एज़ेंसी)
दलित महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे एक समाचार पत्र के उदय का बखान करने वाली भारतीय डॉक्यूमेंट्री ‘राइटिंग विद फायर’ यहां 94वें ऑस्कर पुरस्कार समारोह में ‘समर ऑफ सोल (या व्हेन द रिवोल्यूशन कुड नॉट बी टेलीवाइज्ड)’ से सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फीचर श्रेणी में हार गई। ‘समर ऑफ सोल’ अहमिर थॉम्पसन द्वारा निर्देशित है, जिन्हें क्वेस्टलोव के नाम से जाना जाता है। फिल्म के लिए थॉम्पसन ने हार्लेम सांस्कृतिक महोत्सव के पहले, कभी न देखे गए अभिलेखीय फुटेज की व्यवस्था की जिसमें 1969 की गर्मियों में 300,000 लोगों ने भाग लिया था। उन्होंने अफ्रीकी अमेरिकी संगीत और संस्कृति का जश्न दिखाया। अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए संगीतकार ने कहा कि समकालीन पॉप संस्कृति में अश्वेत सांस्कृतिक संस्थानों और अभिव्यक्तियों को अब भी अनदेखा किया जाता है। सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र फीचर श्रेणी में अन्य ऑस्कर नामांकितों में ‘असेंशन’, ‘अटिका’ और ‘फ्ली’ शामिल थे। दलित महिलाओं द्वारा संचालित भारत के एकमात्र समाचार पत्र ‘खबर लहरिया’ की शानदार कहानी के साथ नवोदित निर्देशक रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित ‘राइटिंग विद फायर’ को ऑस्कर की दौड़ में छुपा रूस्तम माना जा रहा था।
‘राइटिंग विद फायर’ दलित महिलाओं द्वारा चलाए गए एक समाचार पत्र ‘खबर लहरिया’ पर आधारित कहानी है। इस मीडिया संगठन की पूरी टीम वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रिंट मीडिया छोड़कर पूरी तरह डिजिटल माध्यम को अपना लेती है। लेकिन पुरस्कार समारोह से ठीक एक हफ्ते पहले फिल्म उस वक्त विवादों में घिर गई जब अखबार संगठन ने एक लंबा बयान जारी कर कहा कि वृत्तचित्र में उनकी कहानी को ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया है। ‘खबर लहरिया’ की संपादक कविता बुंदेलखंडी ने कहा था, ‘हमें इस बात पर बहुत गर्व है कि हमारे संगठन पर इस तरह का वृत्तचित्र बनाया गया….हम जानते हैं कि स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं के पास यह विशेषाधिकार है कि वे अपने ढंग से कहानी पेश कर सकते हैं, लेकिन हमारा यह कहना है कि पिछले 20 वर्षों से हमने जिस तरह की स्थानीय पत्रकारिता की है या करने की कोशिश की है, फिल्म में वह नजर नहीं आती।’ पिछले सप्ताह उन्होंने कहा था कि फिल्म ने अखबार को ‘गलत तरीके से’ चित्रित किया कि यह केवल ‘एक राजनीतिक दल’ के मुद्दों की रिपोर्टिंग पर केंद्रित है। बुंदेलखंडी ने राजनीतिक दल का नाम लिए बिना कहा, ‘‘डॉक्यूमेंट्री हमारे काम को गलत तरीके से चित्रित करती है क्योंकि यह हमारे काम का केवल एक हिस्सा दिखाती है। यह दिखाती है कि हमारा काम केवल एक राजनीतिक दल से जुड़े मुद्दे हैं।” उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनकी उपलब्धियों पर एक वृत्तचित्र बनाया गया, लेकिन काश इसका बेहतर चित्रण होता। उन्होंने कहा कि जीत या हार मायने नहीं रखती, ऑस्कर में अंतिम पांच में नामांकन भारत में वृत्तचित्र समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।