ए.चक्रवर्ती
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन इन दिनों शूटिंग नहीं कर रहे हैं। 75 पार कर चुके उत्तर प्रदेश के मूल निवासी महानायक अमिताभ बच्चन के जेहन में अमूमन यूपी की बातें होती हैं। होली के मौके पर वह अपने शहर प्रयागराज यानी इलाहाबाद को बहुत याद करते हैं। इस दौरान वहां रंगों से पुते हुए चेहरे और ढेर सारे पकवान, अमिताभ को बहुत अच्छी तरह से याद हैं। वह बताते हैं,‘बढ़ती उम्र ने मुझे रंगों से दूर कर दिया है,पर आज भी होली पर बनने वाले विशेष पकवान गुझिया-पापड़ की मुझे बहुत याद आती है। खास तौर से इस मौके पर बनने वाले मावे की गुझिया, साबूदाने और आलू के महीन पापड़ का मैं बहुत क्रेजी हूं। अब उम्र हो चली है, ऐसी बातों को पूरा एंज्वॉय नहीं कर पाता हूं, लेकिन इस दौरान आस-पास के ऐसे माहौल का पूरा आंनद लेता हूं। होली का पर्व युवा वर्ग के ज्यादा करीब है, हमें तो उन्हें हंसते- खेलते हुए देखना अच्छा लगता है। वैसे त्योहारों को लेकर मेरा जोश आज भी कम नहीं हुआ है।’
कंगना को भाता है चटक रंग
कंगना रणौत पूरे उत्साह के साथ हर उत्सव में शरीक होती हैं। खास तौर से होली के गहरे चटख रंग से उन्हें बहुत प्यार है। बचपन से ही उन्हें रंगों से भरे हौदे में बच्चों और युवाओं को हंसते-खिलखिलाते देखना बहुत अच्छा लगता है। होली के मौके पर कंगना अपने अनुभव शेयर करती हैं,‘अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में होली के ऐसे उल्लास में कई बार शामिल हो चुकी हूं। आज भी बच्चों को इस तरह से होली खेलते हुए देखना मुझे अच्छा लगता है। मेरा ख्याल है कि आप यदि कुछ संयम के साथ इस पर्व को मनाएं, तो यह पूरे देश का एक ऐसा फेस्टिवल है, जिसमें भाईचारा और मेल-मिलाप की बातें पूरी तरह से शामिल रहती हैं।’ कंगना के मुताबिक आप कोई दूसरा पर्व अलग से मना सकते हैैं, पर होली के रंग-गुलाल से खेलने के लिए तो आपको हमेशा किसी एक साथी की जरूरत पड़ती है। यही इस पर्व का सबसे बड़ा प्लस प्वाॅइंट है। इसके चलते कई बार उन्हें अपने सेलिब्रिटी होने का बहुत दुख होता है। वह बताती हैं,‘असल में मेरा जो नेचर है, ऐसे मौके पर लोगों के साथ एंज्वाॅय करना मुझे बहुत पसंद है, पर लोगों के हुजूम से डर लगता है। पर एक बात है, इस त्योहार के मौके पर मैंने कई बार अपने कुछ रूठे हुए लोगों का मना लिया था। इस बार भी मैं ऐसा कुछ सोच रही हूं।’
उदित का मुंह रंगना चाहती हैं दीपा
सिंगर उदित नारायण और उनकी पत्नी दीपा के परिवार में होली आज भी उसी पारंपरिक शैली में मनाई जाती है। इसमें बिहार का अंदाज़ साफ झलकता है। हमेशा दीपा की कोशिश यही होती है कि इस मौके को पति और बेटे के साथ ही सेलिब्रेट करें। दीपा से होली का ज़िक्र करने पर वह चहक उठती हैं, ‘बहुत ज़रूरी काम नहीं हुआ,तो बेटे ओर पति के साथ होली खेलने में मुझे ज्यादा आनंद आता है। खास तौर से उदित का मुंह रंगना और रंगों से लिपा-पुता चेहरा देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। पर कुछेक बार ऐसा भी हुआ है, जब इस पर्व को एक साथ नहीं मना पाए हैं। वैसे मैं कहीं भी रहूं, इस मौके पर उत्तर भारत और नेपाल बहुत याद आ जाता है।’
तब्बू की रंगीन मस्ती
तब्बू बॉलीवुड की उन कुछ नायिकाओं में से एक हैं, जो होली की मस्ती में डूब जाना चाहती हैं। मेल-मिलाप से भरा रंगों का यह उत्सव उन्हें खूब पसंद है। पर तब्बू को इस मौके पर किसी तरह का हुड़दंग अच्छा नहीं लगता है। इस प्रसंग में तब्बू को अपने बचपन की कुछ घटनाएं विचलित कर देती हैं। वह बताती हैं, ‘उन दिनों हम पानी के गुब्बारे से भी होली खेलते थे। पर इससे कई बार लोगों को चोट भी लग जाती थी। वे यादें आज भी मेरा पीछा नहीं छोड़ पाई हैं। इसलिए तब से एक बात मेरे जेहन में बैठ गई है कि होली खेलो लेकिन एकदम क्लीन… जिसमें रंगों के साथ सिर्फ मस्ती हो।’
रंगों से बचती हैं ईशा गुप्ता
ईशा गुप्ता को होली के रंग कभी भी नहीं डराते हैं। उन्हें होली के गाढ़े रंग में डूबना अच्छा लगता है। वैसे होली खेलने से पहले वह अपने बालों में खूब सारा नारियल का तेल मल लेती हैं। वह बताती हैं, ‘इससे मेरे बाल रंगों से ज़रा भी प्रभावित नहीं होते हैं। इसी तरह से मैं इस दिन हाथों -पैरों और बाकी स्किन पर भी नारियल का तेल मल लेती हूं। इसके बाद इस चिंता से मुक्ति मिल जाती है कि होली के रंग मुझे नुकसान पहुंचाएंगे। हां, एक बात ज़रूर बताना चाहूंगी, एक गिलास ठंडई के साथ भांग की बर्फी लेना मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि उसके बाद बहुत भूख लगती है। मैं वैसे भी फूडी हूं।’
सोनाक्षी का नाच-गाना
अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा को अक्सर ही कुछ गुनगुनाते हुए एक अलग मस्ती में देखा जा सकता है। सोनाक्षी ने अपने पिता शत्रुघ्न सिन्हा से बिहार की होली के कई किस्से सुन रखे हैं। वह बताती हैं, ‘यहां मेरी होली सुबह दस बजे शुरू होती है। मैं इको फ्रेंडली कलर से होली खेलना पसंद करती हूं। मुझे गीत-संगीत के साथ होली मनाना पसंद है। पापा भी इस मौके पर बिहार के होली के गीतों का भरपूर मज़ा लेते हैं। मुझे लगता है,यह होली का सबसे बेहतरीन पक्ष है। इस मौके पर तबले-ढोल पर नाचते थिरकते रंगों में डूबे हुए लोग मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं।’
सभी चित्र : ए. चक्रवर्ती