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Health Advice : मॉर्डन लाइफस्टाइल में वजन घटाना क्यों मुश्किल? जानिए वैज्ञानिकों की राय

आधुनिक विज्ञान ने बताया कि वास्तविकता ‘कम खाओ, ज्यादा चलो' से अलग है

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Health Advice : दशकों तक हमें बताया गया कि वजन कम करना केवल आत्म-नियंत्रण का मामला है : कम खाओ, ज्यादा चलो। लेकिन आधुनिक विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि वास्तविकता इससे अलग है।

हमारे पूर्वजों का असर

हजारों साल पहले हमारे मानव पूर्वजों के लिए शरीर की चर्बी जीवन रेखा थी – बहुत कम चर्बी से भूखमरी का खतरा, बहुत अधिक चर्बी से धीमी गति का खतरा। समय के साथ, मानव शरीर ने ऊर्जा भंडारण की रक्षा करने के लिए जटिल जैविक रक्षा तंत्र विकसित किए, जो दिमाग में जुड़े थे। आज, जब भोजन हर जगह उपलब्ध है और शारीरिक गतिविधि वैकल्पिक है, तो वही तंत्र वजन घटाना मुश्किल बनाते हैं। जब कोई व्यक्ति वजन घटाता है, तो शरीर इसे जीवन पर खतरे के रूप में देखता है : भूख वाले हार्मोन बढ़ते हैं, खाने की लालसा बढ़ती है और ऊर्जा खर्च घटता है। यह तंत्र कभी भूख और भोजन की अनिश्चितता में जीवन बचाने के लिए विकसित हुआ था, लेकिन आज यह चुनौती बन गया है।

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दिमाग और “वजन की स्मृति”

हमारा दिमाग भी वजन की रक्षा के लिए शक्तिशाली तंत्र रखता है और यह पुराने वजन को “याद” रख सकता है। इसका मतलब है कि यदि शरीर कभी भारी रहा है, तो दिमाग बाद में उसे सामान्य मानकर उसकी रक्षा करता है। यही कारण है कि कई लोग डाइट के बाद वजन वापस पा लेते हैं - यह आत्म-अनुशासन की कमी नहीं, बल्कि जैविक प्रतिक्रिया है।

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जैविकी को हैक करना

वजन कम करने वाली कुछ दवाएं उम्मीद जगाती हैं। ये दवाएं आंत के हार्मोन्स की नकल कर दिमाग को भूख कम करने का संकेत देती हैं। हालांकि, सभी पर इसका समान असर नहीं होता और कुछ में दुष्प्रभावों की वजह से दवा जारी रखना मुश्किल हो जाता है। अक्सर, इलाज बंद करने के बाद शरीर का जैविक तंत्र वापस सक्रिय हो जाता है। भविष्य में, शोध यह संभव बना सकता है कि शरीर को पुराने वजन पर लौटने के लिए प्रेरित करने वाले संकेतों को स्थायी रूप से कम किया जा सके। साथ ही, अच्छी स्वास्थ्य स्थिति का मतलब हमेशा “अच्छा वजन” नहीं होता - नियमित व्यायाम, संतुलित पोषण, पर्याप्त नींद और मानसिक स्वास्थ्य दिल और मेटाबॉलिक स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं।

समाज-व्यापी दृष्टिकोण

मोटापा केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है। इसे रोकने के लिए पूरे समाज की भूमिका जरूरी है - स्कूलों में स्वास्थ्यकर भोजन, बच्चों के लिए जंक फूड की मार्केटिंग कम करना, पैदल और साइकिल चलाने के अनुकूल नगर नियोजन, रेस्तरां में मानकीकृत भोजन आकार आदि। शोध यह भी बताता है कि जीवन के शुरुआती चरण (गर्भावस्था से लगभग सात साल तक) में बच्चों के वजन नियंत्रण तंत्र पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। माता-पिता का खान-पान, शिशुओं का पोषण और शुरुआती जीवनशैली आदतें मस्तिष्क में भूख और चर्बी भंडारण को प्रभावित कर सकती हैं।

व्यक्तिगत रणनीतियां

यदि आप वजन घटाना चाहते हैं, तो डाइट के बजाय सतत और स्वास्थ्यपरक आदतों पर ध्यान दें। पर्याप्त नींद भूख को नियंत्रित करने में मदद करती है और नियमित गतिविधि, जैसे पैदल चलना, रक्त शर्करा और हृदय स्वास्थ्य में सुधार लाता है। मोटापा व्यक्तिगत असफलता नहीं, बल्कि जैविक स्थिति है जो हमारे दिमाग, जीन और वातावरण से आकार लेती है। अच्छी खबर यह है कि न्यूरोसाइंस और फार्माकोलॉजी में प्रगति नई उपचार संभावनाएँ दे रही है, और रोकथाम रणनीतियाँ भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थिति बदल सकती हैं।

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