Dadi-Nani Ki Baatein : मेंढ़क टर्रा रहे हैं, जरूर बारिश होगी.... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
Dadi-Nani Ki Baatein : मेंढ़क टर्रा रहे हैं, जरूर बारिश होगी.... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
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चंडीगढ़, 3 जुलाई (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Baatein : आसमान में जब बादल घिर आते हैं तो खेतों व पानी वाली जगहों पर अक्सर मेंढ़कों की टर्राहट सुनाई देने लगती है। आपने अक्सर अपने बड़े-बुजुर्ग व दादी-नानी को कहते हुए सुना होगा कि मेंढ़क टर्राते रहें है, जरूर बारिश होगी। मगर सवाल यह है कि क्या ऐसा सचमुच होता है।
मेंढ़कों का बारिश से रिश्ता
भले ही मेंढ़क जलचर प्राणी हैं लेकिन वह भूमि पर भी रह सकता है। हालांकि शुष्क मौसम या गर्मी के दौरान मेंढ़क आमतौर पर किसी ठंडी और नम जगह में छिपे रहते हैं जैसे मिट्टी के अंदर, तालाब के किनारे, पत्थरों के नीचे। बारिश की आहट भांप कर मेंढ़क बाहर आ जाते हैं और टर्राने लगते हैं। ऐसे में दादी-नानी अंदाजा लगा लेती हैं कि बारिश होने वाली है।
प्रजनन काल की शुरुआत
मेंढ़क वातावरण में बदलाव को बहुत जल्दी महसूस कर लेते हैं। विज्ञान की मानें तो बरसात का मौसम मेंढ़कों के लिए प्रजनन का समय होता है। नमी और आद्र्रता बढ़ने पर नर मेंढ़क मादा को आकर्षित करने के लिए जोर-जोर से टर्राने लगते हैं। इससे बड़े-बुजुर्ग बारिश का अंदाजा लगा लेते हैं।
लोक परंपराओं में विश्वास और अनुभव
दादी-नानी का अनुभव कई दशकों का होता है। उन्होंने बार-बार देखा और महसूस किया होता है कि जब भी मेंढ़क टर्राते हैं, उसके बाद बारिश जरूर होती है। पहले के समय में लोग इसी तरह से बारिश की भविष्यवाणी करते थे जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक कहावत बनकर उभर आई।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।
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