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फिल्म हो या वेब सिरीज, सब मंजूर

अदिति पोहनकर
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फोटो : लेखक
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रेणु खंतवाल

अदिति पोहनकर आज के दौर की वह अभिनेत्री हैं जिन्होंने कम समय में ही हिंदी, तमिल और मराठी सिनेमा में अपनी पहचान बनाई है। रितेश देशमुख के साथ उनकी एक्शन से भरपूर मराठी फिल्म ‘लय भारी’ लोगों को पसंद आई। इसके अलावा वेब सिरीज ‘शी’ और ‘आश्रम’ में भी उनके अभिनय की चर्चा हुई। इन दिनों भी अदिति अपने काम में बिजी हैं और हाल ही में वे दिल्ली में किसी घड़ी कंपनी की कलेक्शन लांच करने आईं तो उनसे बात हुई। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश –

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अपने अब तक के अभिनय सफर को देखती हैं तो कैसा लगता है?

काफी हद तक संतुष्ट हूं। जो भी काम किया, रेस्पॉन्स अच्छा मिला । खासकर ‘आश्रम’ में काम करके तो लोगों का बहुत प्यार मिला। आगे भी अच्छा काम करूं यही इच्छा है। मैंने अभिनय के सभी रास्ते खोलकर रखे हैं, फिल्म हों या वेब सिरीज। कुछ प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है जो सही समय आने पर बताऊंगी।

आजकल हम देख रहे हैं कि लोग अपने फोन पर ही समय देख लेते हैं। आपको लगता है कि लोगों में घड़ी का क्रेज है?

बिल्कुल, आज भी लोगों में घड़ी पहनने का क्रेज़ है। मैं खुद बिना घड़ी पहने बाहर नहीं निकलती। घरों में व आसपास सभी घड़ियों के शौकीन मिल जायेंगे।

जब किसी ब्रांड प्रमोशन के लिए जाता है तो एक कलाकार क्या सामाजिक जिम्मेदारी महसूस करता है? क्योंकि उसके फैन उसे फॉलो करते हैं।

सबसे पहले तो देखना चाहिये कि जिस चीज़ का प्रमोशन वह करता है क्या वह उसे जानता है। उसे खुद या उसकेकिसी करीबी ने कभी यूज किया है। उस पर लोगों का भरोसा कैसा है? इन सब चीज़ों को देखकर ही किसी प्रोडक्ट को प्रमोट करना चाहिये।

आपके माता-पिता दोनों एथलीट रहे हैं। आप एक्टिंग से कैसे जुड़ गईं?

हमारे घर में खेल का माहौल रहा है। मैं भी एक्टिंग में आने से पहले एथलीट ही थी। मैंने महाराष्ट्र को रिप्रेजेंट किया है, 100 और 200 मीटर की दौड़ में। फिर एक छोटी सी कहानी है जिस वजह से मैं एक्टर बनी। लेकिन मुख्य कारण यह था कि मुझे खुद को एक्सप्रेस करना था। और वो एक्सप्रेशन मुझे इस एक्टिंग की विधा से मिला।

आपका पहला प्रोजेक्ट क्या था?

मेरा पहला प्रोजेक्ट एक नाटक था जोकि मेरी बहन ने लिखा था। वह नाटक पृथ्वी थिएटर में खेला गया था। उस समय मैं 15 साल की थी।

‘आश्रम’ में आपको एक खिलाड़ी का रोल मिला। आप पहलवान बनी थीं। किस तरह का अनुभव रहा?

कभी न भूलने वाला अनुभव रहा। मुझे संग्राम सिंह जी ने ट्रेन किया था। उसके लिए मुझे अपना दस किलो वजन बढ़ाना पड़ा था। ठंड में हमने अयोध्या में शूट किया था। यह सच है कि खेल से जुड़ा कुछ भी होता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।

आज हम देख रहे हैं कि भारत खेलों में बहुत अच्छा कर रहा है। बहुत सारे अवॉर्ड भारत जीत रहा है खेलों में। क्या वजह लगती है?

मुझे लगता है कि मेहनत तो पहले भी सब खिलाड़ी कर ही रहे थे लेकिन अब एक सही दिशा मिल गई है। जैसे हरियाणा में कुश्ती है तो अब लोगों को यह यकीन हो गया है कि यह खेल लड़का-लड़की दोनों के लिए है। इसलिए अब लड़कियां भी खूब आगे आ रही हैं।

अपनी फिटनेस के लिए क्या करती हैं?

सुबह चार बजे उठती हूं व वर्कआउट करती हूं। अच्छा खाती-पीती हूं,अच्छा सोचती हूं।

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