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चुनौतीपूर्ण समय
महाराष्ट्र में उद्धव और राज ठाकरे के मिलने से राजनीति गरमाई है और हिंदी विरोधी अभियान फिर शुरू हुआ है। देश की राष्ट्रीय संपर्क भाषा हिंदी को अहिंदी भाषी प्रदेशों में भी सम्मान मिलना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी विदेशों में हिंदी बोलते हैं, लेकिन महाराष्ट्र में हिंदी भाषियों के खिलाफ हिंसा हो रही है। राज ठाकरे के कार्यकर्ताओं ने मराठी न बोलने पर हमला किया, फिर भी वह ऐसे विवादों को प्रचारित न करने की सलाह देते हैं। ठाकरे भाइयों की एकता से यह विवाद और बढ़ सकता है। महाराष्ट्र सरकार के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है।
मनमोहन राजावत, शाजापुर
प्रकृति का सुरक्षित उपचार
चौदह जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून में मिताली जैन के लेख ‘कुदरत का मुफ्त उपचार’ में बताया गया है कि आधुनिक जीवनशैली और कृत्रिम सुविधाएं स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं। लेखिका के अनुसार, प्रकृति के संपर्क में आने से कई बीमारियों से राहत मिलती है। सुबह की सैर, धूप, हरियाली और नंगे पांव चलना हमारी इम्युनिटी, हृदय, फेफड़ों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सिद्ध होता है।
शामलाल कौशल, रोहतक
मदद से ही शांति
कहते हैं, जैसा अन्न, वैसा मन। मृत्युभोज पर बढ़ते खर्च ने गरीब और मध्यम वर्ग पर भारी बोझ डाला है। जबकि आत्मा अजर-अमर है, फिर भी एक परंपरा अनावश्यक आर्थिक दबाव बनाती है। धार्मिक रीतियों का सम्मान करते हुए, मृत्युभोज में संयम बरतना चाहिए। हमें प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, न कि दिखावे के लिए खर्च बढ़ाना।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
राष्ट्रीय हित प्राथमिक
अमेरिका भारत की स्वतंत्र विदेश नीति से असहज है। रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की संतुलित नीति, ब्रिक्स करेंसी का समर्थन और कश्मीर पर सख्त रुख से अमेरिका नाराज है। अब वह भारत पर व्यापारिक दबाव बना रहा है। भारत को चाहिए कि वह राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दे और किसी भी दबाव में आए बिना अपने निर्णय ले।
चंद्र प्रकाश शर्मा, रानी बाग़, दिल्ली