Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

पेड़ बचने से बचेंगे हम

जन संसद
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement
जन संसद की राय है कि मानव प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जरूरत से ज्यादा कर रहा है, जिसके कारण पारिस्थितिकी तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। पौधारोपण से ही सब प्राणियों का जीवन रक्षण संभव है।

पुरस्कृत पत्र

पेड़ों की जरूरत

‘पेड़ बचने से बचेंगे हम’ यह शीर्षक कोई नारा या संदेश भर नहीं अपितु एक चेतावनी है। पेड़ों के प्रति हमारे नज़रिए और व्यवहार को बदलने की चेतावनी। पेड़ों के अनावश्यक और अंधाधुंध कटान की वजह से उपस्थित पारिस्थितिक असंतुलन के दुष्प्रभावों को महसूस करने की चेतावनी! हमें गफ़लत की नींद से तत्काल जागना होगा और वृक्ष तथा पर्यावरण बचाने हेतु नियमित पौधारोपण के व्रत के साथ-साथ पर्यावरण अपराधियों को बेनकाब करना होगा। प्राणवायु के एकमात्र प्रदाता, पेड़ों की अहमियत जब हमारे स्वभाव में रच-बस जाएगी तभी पेड़ों के और प्रकारान्तर से हमारे बचने का सिलसिला शुरू होगा। पौधारोपण और संरक्षण का विचार बीज जब तक हमारे मन-मस्तिष्क में प्रस्फुटित नहीं होता तब तक वास्तविक वन महोत्सव फलीभूत नहीं हो सकता।

ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

Advertisement

पौधारोपण करें

बढ़ती गर्मी का कारण मनुष्य का प्रकृति के प्रति संवेदनशील न होना है। पृथ्वी को बचाने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करना सबका दायित्व है। वैसे तो पौधारोपण के लिए स्थान का अभाव है क्योंकि मनुष्य ने सब कुछ कंक्रीट और पत्थर वाला बना दिया। फिर भी यदि कुछ स्थान शेष है जहां पौधारोपण किया जा सकता है। यदि स्थान कम है तो घरों की दीवारों, छतों सीढि़यों पर विभिन्न प्रकार के पौधे लगाएं। प्रत्येक दुकान के बाहर एक पेड़, संस्थान और खेत में असंख्य पेड़ लगाकर उनकी संभाल की जाए। अधिक से अधिक नीम, बड़ और पीपल रोपित करके न केवल वातावरण शुद्ध होगा अपितु गर्मी से भी छुटकारा मिलेगा।

अशोक कुमार वर्मा, कुरुक्षेत्र

सामूहिक चिंतन हो

जंगल मनुष्य का निवास स्थान तो नहीं मगर उसका अस्तित्व मनुष्य के लिए अनिवार्य है। खेद का विषय यह कि विश्व में वनों का क्षेत्र साल दर साल घट रहा है। कारण अनेक हैं, जैसे– हमारी अन्तहीन लिप्साएं, ग्लोबल वार्मिंग, दावानल, अंधा विकास, वन माफिया, जंगलों के प्रति लोगों का उपेक्षापूर्ण व्यवहार आदि। यह चिंता की स्थिति है। कुछ सामाजिक संगठन जंगल बचाओ मुहिम चला रहे हैं परन्तु वह नाकाफी है। नारों, वादों और कानूनी कलाबाजियों की बजाय ज़रूरत है, सचेतनता सहित युद्ध स्तर पर ठोस कार्य किए जाने की। यह सिर्फ किसी एक के बूते की बात नहीं। हमारा सामूहिक चिंतन हो–पेड़ बचने से बचेंगे हम।

कृष्णलता यादव, गुरुग्राम

एक आदमी एक पौधा

प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, जिसमें पेड़ों की कटाई सर्वाधिक है, कई दूरगामी समस्याओं को पैदा कर रहा है। तकनीकी विकास का दंभ भरकर हम कितना भी इतरा लें, लेकिन वन संपदा को मिटाकर बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। कई तरह की आपदाओं को बुलावा दे रहे हैं। अंधाधुंध कटाई और गर्मियों में दहकते जंगल एक चेतावनी है। पेड़ हर तरह की कुदरती आफत को रोकने में सक्षम हैं। पेड़ हर साल तस्वीरों में अधिक और धरती पर कम लगाए जाते हैं। अगर हर एक आदमी एक पौधा लगाकर पेड़ बनने तक उसके देखभाल करे तो वह दिन दूर नहीं जब धरती पर चारों ओर हरियाली नजर आएगी और तापमान भी नियंत्रित रहेगा।

सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम

पेड़ों से ही जीवन

बढ़ती जनसंख्या के कारण लगातार बढ़ते कंक्रीट के जंगलों, औद्योगिक विकास की अंधी दौड़, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में लगातार वृद्धि, पहाड़ों के कटाव, अंधाधुंध खनन कार्य, वनारोपण पर पर्याप्त ध्यान नहीं देने के कारण धरती के संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ा हैै। भारतीय संस्कृति में तो पेड़ों के महत्व को देखते हुए इनकी पूजा की जाती रही है और एक पेड़ को दस पुत्रों के समान बताया गया है। संस्कृत में कहा गया है कि सब प्राणियों पर उपकार करने वाले इन (वृक्षों) का जन्म श्रेष्ठ है, ये वृक्ष धन्य हैं कि जिनसे याचक कभी निराश नहीं होते। मतलब यह है कि पेड़ों से ही सब प्राणियों का जीवन संभव है।

सुनील कुमार महला, सीकर, राजस्थान

हम सबकी जिम्मेदारी

आधुनिकीकरण के चलते पेड़ काटना जरूरत बन गया है। लेकिन इनकी आपूर्ति की जा सकती है और पेड़ लगाकर। दुकानों पर बिल कागज पर निकालने की बजाय, आनलाइन भेज कर पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है। हम सबकी यह जिम्मेदारी बनती है कि खाली पड़ी जमीन पर पेड़ लगाएं। सरकार प्रोत्साहित करे। सार्वजनिक यातायात को बेहतर बनाकर, वाहनों के उपयोग को कम कर ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सकता है। शोर-शराबे और धुएं ने पेड़ों का भी दम घोंट दिया है। इन पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है।

अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

Advertisement
×