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विदेशों में भारतीय प्रतिभाओं का हश्र

बेहतर अवसर मिले बेहतर शिक्षा, रोजगार के साथ-साथ पैसा और अच्छे अवसर देश की प्रतिभाओं को विदेश की तरफ आकर्षित करते हैं। भारतीय युवा परिश्रमी होने के साथ अपनी बुद्धि के दम पर अपनी साख बना लेते हैं। देश में...
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बेहतर अवसर मिले

बेहतर शिक्षा, रोजगार के साथ-साथ पैसा और अच्छे अवसर देश की प्रतिभाओं को विदेश की तरफ आकर्षित करते हैं। भारतीय युवा परिश्रमी होने के साथ अपनी बुद्धि के दम पर अपनी साख बना लेते हैं। देश में भाई-भतीजावाद, आपसी पहचान और सिफारिश की वजह से उनकी योग्यता को वो सम्मान नहीं मिल पाता है जो उसे विदेश में मिलता है। लेकिन आज विदेशों में उन पर हमले अन्य भारतीयों को वहां आने से रोकने के लिए किए जा रहे हैं जिससे वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। जरूरी है देश में ही शिक्षा, रोजगार और अच्छा पैसे देने की ओर ध्यान दिया जाये।

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भगवानदास छारिया, इंदौर

पाॅलिसी बनाएं

देश की युवा प्रतिभाएं उज्ज्वल भविष्य के लिए विदेशों में पलायन करती रही हैं। परन्तु अब परिस्थितियां बदल जाने के कारण वहां के युवाओं तथा सरकारों में विदेशी युवाओं के प्रति रोष, ईर्ष्या एवं क्रोध के कारण रहस्यमयी हत्या एवं झूठे आरोपों का सिलसिला शुरू हो गया है। हमारे देश की सरकारें भी दोषी हैं जो अपनी युवा प्रतिभाओं को सम्मानजनक ढंग से स्थापित करने का कोई प्रयास नहीं करतीं। समय आ गया है कि इस गम्भीर विषय पर तुरन्त कोई योजनाबद्ध पाॅलिसी बनाई जाए।

एमएल शर्मा, कुरुक्षेत्र

मंत्रालय हस्तक्षेप करे

पिछले दिनों विदेशों में भारतीय प्रतिभाओं की रहस्यमय, निर्मम हत्याओं की दुखदायक खबरें आईं। इन देशों का प्रशासन लगातार हो रहे हमले को रोकने का कोई पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा। अटकलें हैं कि एक समुदाय के खिलाफ नकारात्मक प्रचार, नस्लभेदी नजरिया व वहां के नेताओं द्वारा भड़काऊ बयानों से ही प्रतिभाओं को यह सब सहना पड़ रहा है। अपने ही देश में अगर उन्हें उचित अवसर और रोजगार की उम्मीद होती तो ये विदेशों में पलायन न करते। नीति-नियंताओं को भी आत्ममंथन करना होगा कि वे अपनी प्रतिभाओं को अनुकूल शैक्षिक व रोजगार का वातावरण देश में मुहैया क्यों नहीं करवा पा रहे। देश के विदेश मंत्रालय को भी इस संदर्भ में हस्तक्षेप करना चाहिए।

पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

तंत्र विकसित कीजिए

भारतीय युवाओं में पुराने समय से ही एक ललक रही है कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि बाहर के देशों में जाकर पैसा व शोहरत कमाई जाएं।

लेकिन वहां पर उनका बुरी स्थितियों में फंस जाना तथा मौत के मुंह में चले जाने की खबरें आती रही हैं, जो एक प्रत्येक भारतीय को दुख पहुंचाती है। सरकार भी इस बारे में गंभीर नहीं लगती। सरकार को चाहिए कि देश की प्रतिभाओं का देश के विकास में उपयोग करे और प्रतिभाओं का सम्मान करे। उन्हें शिक्षा, रोजगार के अच्छे अवसर और प्रतिभा काे उबारने के लिए तंत्र विकसित करे।

सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी

नीतिकार कदम उठाएं

देश से बड़ी संख्या में युवा अपने उज्ज्वल भविष्य की तलाश में विदेशों में जा रहे हैं। गंभीर चिंता का विषय यह है कि अमेरिका, न्यूजीलैंड तथा आस्ट्रेलिया आदि देशों से भारतीय युवाओं की रहस्यमय निर्मम हत्याओं की खबरें आती रहती हैं। विदेशों में भारतीय प्रतिभाओं का ऐसा दुःखद हश्र न हो, इसके लिए देश के नीतिकारों को भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। देश में ही युवाओं के लिए अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाये जाने चाहिए।

सतीश शर्मा, माजरा, कैथल

पुरस्कृत पत्र

गंभीरता से लें

इस साल अमेरिका में कुल ग्यारह भारतीय मूल के छात्रों की हत्या हो चुकी है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में रह रहे भारतीय भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। भारतीयों पर हमलों और हताहतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के आश्वासन के यथार्थ पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। हैरत की बात है कि जान के खतरे जैसे भयावह माहौल के बावजूद प्रतिभाओं का, भारत से विदेश जाने का प्रवाह थम नहीं रहा। प्रतिभा के इस पलायन को रोकने के लिए सरकार को बुनियादी ढांचे में निवेश, शिक्षा के स्तर में सुधार और भ्रष्टाचार को नियंत्रित करके जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार जैसे उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

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