ग्यारह फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून का ‘रिश्तों की इबारत’ संपादकीय भारत-अमेरिका के नए प्रशासन के बीच भविष्य में संबंधों में सुधार की आशा का विश्लेषण करने वाला था। पिछले कुछ सालों से भारत तथा अमेरिका में कुछ मतभेदों के बावजूद संबंधों में जो सुधार हुआ है, उसको लेकर दोनों देश संतोष अनुभव कर सकते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिका का नया प्रशासन भारत के साथ व्यापार, रक्षा तथा कूटनीति को लेकर संबंधों को सुधारने की कोशिश करेगा। दो लोकतांत्रिक देशों में संबंधों में सुधार विश्व शांति के लिए सहायक साबित हो सकता है।
शामलाल कौशल, रोहतक
हिन्दी का सम्मान
प्रधानमंत्री जब भी देश से बाहर जाते हैं तो अपनी मातृभाषा का सम्मान पूरे विश्व में फैला देते हैं। अक्सर नरेंद्र मोदी जब भी जनता को भाषण देते हैं तो मातृभाषा हिंदी में ही बोलते हैं। यही कारण है कि हिंदी भाषा को अन्य देशों में भी पूरा सम्मान मिल रहा है। लेकिन वहीं दूसरी ओर आज के युवा हिंदी बोलने से शर्माते हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रभाषा को आगे ले जाने में अच्छा कदम उठा रहे हैं। हमें भी हिंदी का उच्चारण करना चाहिए ताकि पूरे विश्व में हिंदी का नाम रोशन हो।
चंदन कुमार नाथ, गुवाहाटी, असम
वैक्सीन डिप्लोमैसी
वैक्सीन कूटनीति से घबराए चीन ने नेपाल को एक बड़ी खेप देने का ऐलान किया है। भारतीय वैक्सीन का दुनिया में बजता डंका चीन को रास नहीं आ रहा है। भारतीय वैक्सीन की विश्व में बढ़ती पसंद अन्य देशों को भी भारत की ओर प्रेरित कर रही है। यही वजह है कि चीन इसे अपनी जमीन खिसकती मान रहा है। भारत वैक्सीन डिप्लोमेसी की तरह ही अन्य क्षेत्रों में भी कदम रखे तभी चीन को पहाड़ के नीचे आने का अहसास हो सकेगा।
अमृतलाल मारू ‘रवि’, दसई धार, म.प्र.