विशुद्ध राजनीति
प्रधानमंत्री के जन्म दिवस पर आयोजित सेवा-समर्पण अभियान निस्संदेह विशुद्ध राजनीतिक कवायद है। सेवा-समर्पण निरंतर सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन है। व्यक्ति विशेष के जन्मदिवस पर सेवा-समर्पण का उपयोग राजनीतिक लाभ के अलावा कुछ नहीं है। राष्ट्र में बढ़ती हुई असहिष्णुता, धार्मिक वर्गीकरण, जातीय द्वेष, महंगाई, बेरोजगारी, जनसंख्या नियंत्रण, अशिक्षा और चिकित्सा के विषयों पर सेवा-समर्पण का भाव प्रतिबिंबित होना किसी भी राजनीतिक दल की सार्थकता और उपयोगिता सिद्ध करने में सहायक हो सकता है।
सुखबीर तंवर, गढ़ी नत्थे खां, गुरुग्राम
राजनीतिक प्रलोभन
सार्वजनिक जीवन में सेवा-समर्पण की भावना भारतीय संस्कृति तथा संस्कारों की महान द्योतक है। प्रधानमंत्री द्वारा इसे अपने जन्मदिन के पखवाड़े के रूप में मनाना स्वयं को महिमामंडित करने की विशुद्ध राजनीतिक कवायद है, जिसका कोई औचित्य नहीं बनता। लाल बहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई जैसे अनेक प्रधानमंत्री हुए हैं जिन्होंने स्वयं को महिमामंडित करने की बजाय आजादी के दीवानों को ऐसे कार्यक्रम समर्पित किये। देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दाम पार्टी की सार्थकता को सिद्ध कर ही रहे हैं।
एम.एल. शर्मा, कुरुक्षेत्र
प्रचार का हथकंडा
प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर सेवा समर्पण अभियान चलाना एक राजनीतिक हथकंडा मात्र ही है। आजकल के राजनेता हर मौके का राजनीतिक लाभ उठाने से बाज नहीं आते। क्या केवल प्रधानमंत्री के जन्मदिन को मनाने को लेकर ही लोगों की सेवा की जा सकती है? अगर सरकार सचमुच लोगों की सेवा के लिए कटिबद्ध है तो बढ़ती हुई महंगाई, बेकारी, महिलाओं के प्रति अपराध, कुपोषण, पीने का पानी, किसानों की समस्याओं को दूर करना, आर्थिकी असमानता को दूर करना, बेरोजगारी, ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करने के लिए आवश्यक कदम उठाये।
शामलाल कौशल, रोहतक
प्रजातांत्रिक परंपरा
भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री का जन्मदिन पखवाड़ा मनाने का औचित्य पार्टी की प्रजातांत्रिक मूल्य परंपरा को आगे बढ़ाने का आह्वान एवं सेवा-समर्पण का प्रतिमान है। इस समीचीन दृष्टिकोण से अब यही प्रश्न उठता है कि जहां लोकतंत्र का मूल्य बढ़ जाता है वहां राजनीति दरकिनार होकर गौण हो जाती है। यद्यपि पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर विश्लेषण करें तो सेवा-पराकाष्ठा के धरातल पर मोदी की साख देश और दुनिया में परिलक्षित हुई है। अतीत में रसातल में गयी पार्टी को राजनीतिक धरातल पर पुनर्जीवित करने काम भी मोदी ने ही किया है।
सतपाल मलिक, सींक, पानीपत
सेवा का संकल्प
सेवा समर्पण भाव जीवन में एक अच्छी शुरुआत है। अगर हम अपने जीवन में इसे अपना लें तो हमारा घर, समाज तथा देश एक बेहतर कल की मिसाल बन सकता है। देश का मुखिया के जन्मदिन से अगर एक अच्छे विचार, अच्छे भाव की शुरुआत होती है तो इसे बेहतर ही कहा जाएगा। मोदी के जन्मदिन से देश में एक अच्छी विचारधारा की शुरुआत होती है तो यह उत्तम है। इसमें राजनीतिक स्वार्थ की दूरगामी रणनीति भी हो सकती है। कोई भी पार्टी अपने राजनीतिक घटा-जोड़ के बिना कोई कदम नहीं उठाती। इसलिए विशुद्ध सेवा-समर्पण की बात गले से नीचे नहीं उतरती।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, गुरुग्राम
ध्यान हटाने के लिए
लोकतंत्र को विश्व की सबसे बेहतर शासन प्रणाली माना जाता है और राजनीति को जन-सेवा का माध्यम बनाया जाता है। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में हर राजनीतिक दल सत्ता पाने और इसे बनाए रखने तक ही सीमित नजर आता है। भाजपा ने नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के क्रम से 17 दिसंबर से 7 अक्तूबर तक सेवा समर्पण अभियान चलाया, जिसके जरिए वह पीएम की राजनीतिक यात्रा और कामों का बखान करेगी। आम जनता को बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, कोरोना काल के दौरान सरकार की असफलता और चौपट अर्थव्यवस्था, किसान आंदोलन जैसे मुद्दों से भटकाने के लिए ही इस अभियान की शुरुआत की गई है।
पूनम कश्यप, बहादुरगढ़
पुरस्कृत पत्र
अंत्योदय की भावना
प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में एक पखवाड़े का ‘सेवा समर्पण मुहिम’ को किसी खास शख्सियत के जन्मदिवस से जोड़ने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन इस अवधि के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य पर जनहित की दृष्टि से समर्पण भावना से कार्य होना चाहिए। सिर्फ वाहवाही लूटने एवं राजनीतिक नफे-नुकसान के लिए चलाए जाने वाले अभियानों पर जनता द्वारा कोई प्रतिसाद प्राप्त नहीं होता है। इस प्रकार की मुहिम के दौरान अंत्योदय की भावना से किए गए सार्थक प्रयासों का निश्चित रूप से पार्टी को लाभ प्राप्त होता है।
ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.