पाठकों के पत्र
सपनों का अंत
हाल ही में हुई अहमदाबाद विमान दुर्घटना भारतीय विमानन इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है। इसमें अनेक लोगों की जान गई और हजारों सपनों का अंत हो गया। इस हादसे ने विमानन सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सरकार और विमान कम्पनियों को इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए। इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
दीपांशी सैनी, चौ. देवीलाल वि.वि., सिरसा
विस्थापन की पीड़ा
सोलह जून के दैनिक ट्रिब्यून का ‘मानवीय त्रासदी’ संपादकीय महाशक्तियों की महत्वाकांक्षा और सत्ता संघर्ष के कारण उत्पन्न शरणार्थी संकट को उजागर करने वाला था। रूस-यूक्रेन, इस्राइल-हमास युद्धों सहित सूडान, सीरिया, म्यांमार आदि देशों में विस्थापन भयावह रूप ले चुका है। खाद्य, आवास, रोजगार और मानवाधिकार की समस्याएं शरणार्थियों के लिए जीवनभर की पीड़ा बन गई हैं।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
जातिवार जनगणना
भारत में जातिवार जनगणना की अधिसूचना जारी होना ऐतिहासिक है। यह सामाजिक-आर्थिक नीतियों को वैज्ञानिक आधार देगा और मिथकों को तोड़ेगा। हालांकि, जाति आधारित आंकड़े समाधान नहीं, बल्कि एक साधन हैं। जनगणना पारदर्शिता से होनी चाहिए और समाज में वैमनस्य नहीं फैलना चाहिए। छात्रों की पढ़ाई और दैनिक जीवन में बाधा नहीं होनी चाहिए।
विभूति बुपक्या, खाचरौद, म.प्र.
जनसंख्या नियंत्रण जरूरी
भारत में जनसंख्या अधिक होने के कारण गरीबी बड़ी समस्या बनी है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 2011-12 से 2022-23 तक गरीबी घटकर 27.1 प्रतिशत से 5.3 प्रतिशत हुई है। फिर भी गरीबी खत्म नहीं हो पाई। समय का तकाजा है कि जनसंख्या पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। गरीबी मिटाने के लिए परिवार नियोजन पर जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर