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पाठकों के पत्र

अंतरिक्ष में हिंदुस्तान भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष की ओर साहसिक कदम बढ़ाया है। 41 वर्षों बाद शुभांशु शुक्ला, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। उन्होंने एक्सिओम-4 मिशन के तहत अमेरिका के कैनेडी...
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अंतरिक्ष में हिंदुस्तान

भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष की ओर साहसिक कदम बढ़ाया है। 41 वर्षों बाद शुभांशु शुक्ला, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। उन्होंने एक्सिओम-4 मिशन के तहत अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। उनके शब्द—‘मैं अकेला नहीं, सारा देश मेरे साथ है’—हर भारतीय के गर्व को दर्शाते हैं। यह मिशन विज्ञान और तकनीक में भारत की प्रगति का प्रतीक है। जैसे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने कहा था, अंतरिक्ष यात्रा आसान नहीं, पर जब देश साथ हो, तो असंभव भी संभव हो जाता है।

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राजेश कुमार चौहान, जालंधर

भारत का सख्त संदेश

एससीओ की रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री ने आतंकवाद पर जो स्पष्ट और दृढ़ संदेश दिया, वह प्रशंसनीय है। पाकिस्तान जैसे देशों की आलोचना बिल्कुल उचित है, जो वर्षों से आतंकवाद को बढ़ावा देते आ रहे हैं। साझा बयान में पहलगाम जैसे आतंकी हमले का ज़िक्र न करना दुर्भाग्यपूर्ण है। मंत्री द्वारा बयान पर हस्ताक्षर न करना आतंक समर्थकों को करारा जवाब है। उनका यह कथन— ‘आतंकवाद और शांति का कोई सह-अस्तित्व नहीं हो सकता’—हर वैश्विक मंच पर गूंजना चाहिए।

हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन, म.प्र.

छात्राओं की सुरक्षा

कोलकाता में कानून की एक छात्रा से दुराचार ने कालेजों में सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सुरक्षा कारणों से सीसीटीवी तो लगा दिए जाते हैं पर वहां जो स्टाफ, सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति की जाती है, वो कितने विश्वसनीय हैं, इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। सीसीटीवी तो केवल एक गैजेट मात्र है जिसमें सब रिकार्ड हो जाएगा। सुरक्षा के लिए केवल इस पर भरोसा कर निश्चिंत हो जाना ग़लत है। छात्राओं की सुरक्षा के लिए स्टाफ और गार्ड प्रक्षिशित और भरोसेमंद होने चाहिए व तभी कालेज परिसर एक सुरक्षित स्थान बनेगा।

अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

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