जन संसद की राय है कि कोरोना महामारी से उपजे हालात ने श्रीलंका का मुख्य पर्यटन उद्योग ठप किया, लेकिन संकट की मूल वजह राजपक्षे परिवार का भ्रष्टाचार, अविवेकपूर्ण कर्ज नीति, लोकलुभावन नीतियां तथा सत्ता की संवेदनहीनता ही है।
लोकलुभावन राजनीति
आज श्रीलंका अपने शासकों की तुगलकी नीतियों व कोरोना संकट की त्रासदियों से इस कदर बदहाली पर पहुंच गया कि लोग भयावह महंगाई, खाद्यान्न संकट व जीवनयापन की मूलभूत जरूरतों को भी तरस गए हैं। देश दिवालिया होने की कगार पर है। श्रीलंका में गहराए राजनीतिक संकट के मूल में बड़ी वजह कुशासन, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और कोरोना संकट के बावजूद लोकलुभावन नीतियों को लेकर अनाप-शनाप शाही खर्च करना भी है। यह भारत जैसे देशों के लिए सबक भी है। देश के हुक्मरानों को सोचना होगा कि महज परिवर्तन का श्रेय लेने की होड़ में स्थापित व्यवस्थाओं से खिलवाड़ न करें।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली
सबक लें
माना जा सकता है कि श्रीलंका के पर्यटन उद्योग पर कोरोना के कहर को एकदम रोकना संभव न था। लेकिन समय रहते लोकलुभावन नीतियों को बदलना, घटते विदेशी मुद्रा भंडार को काबू करना, रोजगार के अवसर बढ़ाना, फसलों की गिरती पैदावार को रोकना, रोजगार के अवसर बढ़ाना, जनता के कष्टों के प्रति संवेदनशील होना और कमाई अठन्नी व खर्चा रुपया जैसी नीतियों पर तो सरकार काबू पा ही सकती थी। इस जनक्रांति से सबक लेकर अन्य देशों को भी कर्जा लेकर घी पीने की नीतियों को छोड़ना पड़ेगा।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद
भारी कर्ज का जाल
चीन के बहकावे में आकर श्रीलंका ने बिना सोचे-विचारे कर्ज लेकर आर्थिक व्यवस्था को इस तरह चकनाचूर कर दिया कि लोगों को भुखमरी, महंगाई और आर्थिक कठिनाई का मुंह देखना पड़ा। मजबूरन त्रस्त जनता को अराजकता का सहारा लेना पड़ा। वस्तुत: कर्जा उतना ही लिया जाये, जो समय पर चुकाया भी जा सके या देश के लिए हानिप्रद न हो। जरूरत है चीन के बहकावे में आए देशों को श्रीलंका से सबक लेना होगा और चीन की नीति और नीयत का खुला विरोध करना होगा ताकि अन्य देशों को भी चीन अपनी गिरफ्त में न ले सके।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
मनमाने फैसले
श्रीलंका में कोरोना संकट के कारण वहां की आय का प्रमुख स्रोत पर्यटन उद्योग ठप हो गया। विदेशी मुद्रा कम होने से जीवन उपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति बंद हो गई। ईंधन, खाद्यान्न और कागज तक की भयंकर कमी हो गई, जिसके कारण बच्चों की परीक्षाएं तक स्थगित करनी पड़ीं। रासायनिक खादों का आयात रोक कर आर्गेनिक खेती करने की तुगलकी कृषि नीति से फसलों के चौपट होने पर खाद्यान्न संकट बढ़ा। सत्ताधीशों के मनमाने फैसलों से हालात बदतर होते गए। चुनाव जीतने के लिए इस प्रकार की नीति कतई अवांछित है। श्रीलंका में 2019 के चुनाव जीतने के लिए करों में भारी कमी की गई थी। परिणाम सब के सामने हैं।
शेर सिंह, हिसार
अलोकतांत्रिक कदम
श्रीलंका भारी आर्थिक संकट में आ चुका है। वहां जन आक्रोश फैल रहा है, हिंसा होने की भी खबरें आयीं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के प्रति आमजन का गुस्सा सामने आया। यह गुस्सा जायज भी है, क्योंकि शीर्ष नेतृत्व की गलत नीतियों के कारण ही श्रीलंका आर्थिक संकट के दलदल में डूबा। वहीं महामारी कोरोना ने आर्थिक व्यवस्था को पूरी तरह चौपट कर दिया। आयात-निर्यात की प्रक्रिया को प्रभावित किया। भारत को भी श्रीलंका से सबक लेते हुए फिजूल के खर्चों को कम करना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
जनविरोधी नीतियां
श्रीलंका में जटिल आर्थिक संकट से हालात बड़े भयावह हो गए। असल में यह जनविरोधी गलत आर्थिक नीतियों का ही परिणाम है, जिससे शासक और शासित के बीच खाई बढ़ती गई और ऐसे हालात बने। संसाधनों तथा जनसंख्या में असंतुलन और रोजगार के अभाव में ही प्रायः ऐसा व्यापक असंतोष और आक्रोश होता है। रोजगार और जनवादी नीतियों से ही देश आर्थिक रूप से आगे बढ़ता है। आज वहां लालबहादुर शास्त्री जैसे ईमानदार, विश्वसनीय नेतृत्व का अभाव है। यही कारण है कि आज श्रीलंका आर्थिक संकट की भयावह स्थिति से गुजर रहा है।
वेद मामूरपुर, नरेला
पुरस्कृत पत्र
परिवारवादी राजनीति
श्रीलंका संकट का प्रमुख सबक है परिवारवादी राजनीति से तौबा। श्रीलंका की बर्बादी के लिए मुख्यतः भ्रष्ट राजपक्षे परिवार ही जिम्मेदार है। श्रीलंका की सत्ता में राजपक्षे परिवार का दखल अंग्रेज़ों के शासन में डॉन डेविड राजपक्षे से शुरू होकर वर्तमान समय में देश के 70 फीसदी बजट पर प्रत्यक्ष नियंत्रण तक पहुंच गया। परिवारवादी राजनीति से राजपक्षे परिवार ताकतवर और श्रीलंका कमजोर होता गया। भारत में भी राष्ट्रीय से लेकर क्षेत्रीय दलों तक में परिवारवाद हावी है। समय आ गया है कि देश की जनता नेताओं की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बजाय उनकी विचारधारा, काम, समर्पण और नीतियों को प्राथमिकता दे।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद