मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

कैसे लगे यौन अपराधों पर अंकुश

जन संसद
Advertisement
जन संसद की राय है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर काबू पाने को सख्त कानून-त्वरित न्याय के साथ ही शासन-प्रशासन की संवेदनशीलता भी जरूरी है। वहीं बेटियों को मुकाबले के लिये सक्षम बनाना और बेटों को अच्छे संस्कार देने चाहिये।

पुरस्कृत पत्र

यौन आतंकवाद

महिलाओं और बच्चियों के प्रति बढ़ते अपराध ने उनमें और उनके परिवारों में गहरी असुरक्षा पैदा कर दी है। यौन अपराधों की बढ़ती घटनाओं को यौन आतंकवाद की संज्ञा देना उचित होगा। कानून में सख्त प्रावधान होने के बावजूद, ये प्रभावी नहीं हुए हैं। इंटरनेट और फिल्मों पर उपलब्ध अनियंत्रित अश्लील कंटेंट ने समाज की मानसिकता को विकृत किया है। कड़े कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ, अश्लील कंटेंट पर सख्ती से नियंत्रण और शैक्षणिक पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा की आवश्यकता है। केवल कानून से स्त्रियों के प्रति अपराधों को नियंत्रित करना संभव नहीं; पारिवारिक स्तर पर सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।

रीतेश ओमप्रकाश जोशी, देवास, म.प्र.

Advertisement

बहुआयामी प्रयास जरूरी

देश में बलात्कार और गैंगरेप की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, हाल ही में कोलकाता में एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना ने पूरे देश को उद्वेलित किया है। जबकि देश में बलात्कार रोकने के लिए कड़े कानून हैं, अपराधियों को इनका कोई भय नहीं है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक फांसी की प्रथा पर विचार किया जा सकता है। अश्लील एप्स और विज्ञापनों पर प्रतिबंध, मानसिकता में बदलाव, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, फास्ट ट्रैक कोर्ट और पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा के साथ-साथ बलात्कार मामलों में वकीलों की भूमिका पर पुनर्विचार आवश्यक है।

शामलाल कौशल, रोहतक

सोच भी बदले

देश में यौन अपराधों की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, और विकृत मानसिकता के अपराधी छोटी बच्चियों को भी शिकार बना रहे हैं। इन अपराधों को रोकने के लिए नागरिकों को जागरूक होना जरूरी है और बच्चों को स्कूलों में यौन अपराधों के प्रति शिक्षा दी जानी चाहिए। कड़े कानूनों के साथ-साथ समाज की सोच में भी बदलाव लाना आवश्यक है। यौन अपराधियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में कठोरतम सजा मिलनी चाहिए ताकि यह अन्य अपराधियों के लिए नजीर बन सके।

पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

आत्मरक्षा की शिक्षा

यौन अपराध पीड़ितों को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से अपूरणीय क्षति पहुंचाता है। जघन्य अपराधों के बावजूद, धीमी और जटिल कानूनी प्रक्रिया पीड़ितों को निराश करती है और अपराधियों को प्रोत्साहित करती है। आवश्यकता है कि थानों में केवल महिला कर्मचारियों वाली विशेष सेल बनाई जाए और केंद्रीय व राज्य निगरानी प्राधिकरण स्थापित किए जाएं ताकि यौन अपराधों की समयबद्ध निगरानी हो सके। पीड़ितों को काउंसलिंग और सुरक्षा की सुविधा मिलनी चाहिए। आत्मरक्षा प्रशिक्षण को लड़कियों की शिक्षा का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.

सशक्तीकरण जरूरी

देश में यौन अपराधों को कमतर आंकने की प्रवृत्ति अभी भी बनी हुई है, जो महिलाओं की सुरक्षा में बाधक है। दुष्कर्म के बढ़ते मामलों को देखते हुए, सरकारों और समाज की जिम्मेदारी है कि वे आपराधिक मानसिकता वाले लोगों के प्रति सतर्क रहें और पुलिस को इन खतरनाक तत्वों के बारे में सूचित करें। ऐसे तत्वों की पहचान और निगरानी जरूरी है, क्योंकि वे मजबूर और लाचार युवतियों और बच्चियों को यौन शिकार बना सकते हैं। समाज को महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

शिवरानी पुहाल, पानीपत

त्वरित न्याय मिले

समाज में बढ़ती चरित्रहीनता महिलाओं के प्रति ज्यादती के रूप में सामने आ रही है। जब तक बलात्कारियों के मन में कानून का भय नहीं होगा, बलात्कार की घटनाएं जारी रहेंगी। बलात्कार के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए और अपराधियों को मृत्युदंड मिलना चाहिए। पीड़ितों को त्वरित न्याय की आवश्यकता है, और दुष्कर्म के आरोपियों के परिवारों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए। इंटरनेट और सिनेमा में अश्लीलता पर रोक लगनी चाहिए। परिवारों को बच्चों को संस्कारित करना चाहिए, जिससे महिलाओं को सम्मान और बराबरी का दर्जा मिल सके।

ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.

Advertisement
Show comments