खिलवाड़ की छूट
गुरुग्राम की एक बहुमंजिला इमारत में हादसे से आकर्षक विज्ञापनों से खरीदारों को ललचाने वाले बिल्डरों की हकीकत बेनकाब हो गई। निश्चित रूप से जीवनभर की जमा पूंजी व बैंकों से लोन लेकर आशियाना खरीदने वाले लोग भयभीत हैं। जिन विभागों के पास इन बहुमंजिला इमारतों के निर्माण सामग्री व डिजाइन की गुणवत्ता परखने की जिम्मेदारी है वे चुप्पी ओढ़ कर खामोश हो जाते हैं। निस्संदेह यह मुनाफाखोर बिल्डरों व संदिग्ध अधिकारियों की मिलीभगत उजागर होने का पहला मामला नहीं है। आखिर कब तक काहिल तंत्र लोगों की जान जोखिम में डालकर बिल्डरों की मनमानी की छूट देता रहेगा।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली
ताकि हादसे टलें
गुरुग्राम के चिंटेल्स पैराडिसो सोसायटी की इमारत में हुए हादसे ने झकझोर कर रख दिया। घटिया सामग्री लगाकर बिल्डरों की मनमानी अनवरत जारी है। जीवनभर की पूंजी लगाकर बहुमंजिला इमारतों में रहने का जो सपना परिवार देखते हैं, वो पलभर में टूटता नजर आया। काहिल तंत्र का रोल इसमें अहम है जो अपना कर्तव्य सही तरह से नहीं निभा रहा है। बिल्डरों द्वारा बहुमंजिला इमारतों का निर्माण जिस गुणवत्ता का होना चाहिए, उस तरह से नहीं हो रहा। यह हादसा ऐसी कोताही का ही उदाहरण है। इस हादसे ने बहुत सबक दिये हैं। समय रहते इन हादसों को रोकने के लिए नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा।
संदीप कुमार जांगड़ा, रभड़ा, सोनीपत
कठोर सज़ा मिले
बिल्डर जहां भी भवन निर्माण करते हैं वे सिर्फ अपने अधिक लाभ प्राप्ति को ही केंद्र में रखते हैं। भवन की मजबूती की उपेक्षा कर निर्माण में घटिया एवं मानदंडों पर खरा नहीं उतरने वाले मैटेरियल काम में लाते हैं। कमीशन खोरी के चलते भी निर्माण के हर स्तर पर घटियापन बना रहता है। उन्हें लोगों के सुरक्षित जीवन की कोई चिंता नहीं रहती। लोग अपने लिए मकान की चाहत में जीवनभर की पूंजी खर्च कर देते हैं। घटिया निर्माण के जिम्मेदार लोगों को जब तक सख्त सजा का प्रावधान नहीं होगा, तब तक यह परंपरा कभी यहां तो कभी वहां चलती रहेगी।
दिनेश विजयवर्गीय, बूंदी, राजस्थान
कड़ी निगरानी जरूरी
पिछले दिनों गुरुग्राम की एक रिहायशी सोसायटी में हुए हादसे की वजह सरकारी तंत्र की लापरवाही और ऊंचे स्तर पर रसूखदार लोगों का इस गोरखधंधे में मालामाल होना है। आम आदमी की गाढ़ी कमाई को इन आलीशान सोसायटियों के माध्यम से लूटने वाले तथाकथित बिल्डर कानून के किसी भी नियम के लिए पाबंद नहीं दिखते हैं। सरकारी तंत्र ने कभी इस विषय पर विचार ही नहीं किया होगा कि ये सोसायटियां 30 साल बाद किस हालत में होंगी। सरकार को रिहायशी या व्यापारिक कार्य के लिए बनाई जाने वाली सोसायटियों के लिए सख्त नियम व कड़ी निगरानी के तंत्र बनाने चाहिए।
जगदीश श्योराण, आजाद नगर, हिसार
भरोसे पर प्रश्न चिन्ह
हाल ही में गुरुग्राम में एक बहुमंजिला इमारत के कुछ फ्लोर्स के गिरने से जिस तरह जन-धन की हानि हुई है, उसने बहुमंजिला इमारतों का निर्माण करने वाले बिल्डरों की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। इस प्रकार के हादसों से तंत्र की लापरवाही भी उजागर होती है। बिल्डरों के साथ-साथ उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्होंने तमाम कायदे-कानून ताक पर रखने वाले निर्माताओं का साथ दिया। इमारतों के निर्माण व सुरक्षा से संबंधित राष्ट्रीय मानकों को सख्ती से लागू किया जाए व इनका उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध यथाशीघ्र कार्रवाई करते हुए इन्हें सख्त सजा दी जाए।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
जागरूकता जरूरी
बढ़ती जनसंख्या के दबाव व महानगरों में रोज़गार के मौकों ने बहुमंज़िली इमारतों को आज अनिवार्य बना दिया है। परन्तु ये जानलेवा बनती हैं बिल्डर के लालच और जांच एजेंसियों की आपराधिक लापरवाही के कारण। प्रत्येक चरण पर संबधित विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच उपरांत सही होने के प्रमाण पत्र जारी होने पर ही निर्माण कार्य आगे बढ़ता है। लेकिन यहीं पर ढिलाई होने के कारण गुरुग्राम जैसे भयानक हादसों का जन्म होता है। इन को रोकने हेतु प्रशासन को सख्त होने और उपभोक्ताओं को जागरूक बनने की आवश्यकता है। सरकार हादसे के लिए जिम्मेदार व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करे। उपभोक्ता आकर्षक विज्ञापनों पर निर्भर न होकर इमारत की मज़बूती और गुणवत्ता पर ध्यान दें।
शेर सिंह, हिसार
पुरस्कृत पत्र
सख्ती का तंत्र बने
आज हर छोटे-बड़े शहर में बिल्डरों द्वारा बहुमंजिली इमारतें बनाने की जैसे होड़-सी मची है। वे सभी नियमों को ताक पर रखकर जल्दी मोटी कमाई की फसल काट लेना चाहते हैं। हमारा कमजोर सरकारी तंत्र एक बड़े हादसे के इंतजार में आंखें मूंदे बैठा रहता है। बिल्डर मोटे मुनाफे के चक्कर में निर्माण सामग्री की गुणवत्ता से समझौता कर, ग्राहकों की जान और माल को खतरे में डाल देते हैं। गुरुग्राम के चिंटेल्स पैराडिसो सोसायटी में जो कुछ हुआ, उसमें हमारा काहिल तंत्र अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकता। बहुमंजिली इमारतें बनाने का सफर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग जैसे सरकारी विभागों से होकर ही गुजरता है। सरकार को ऐसे तंत्र के अधिकारियों, जिनकी पहली जिम्मेवारी ग्राहकों की सुरक्षा है, के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
उर्वशी शर्मा, सनसिटी, रेवाड़ी