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पानीपत के गांव नवादा में यमुना के पानी ने शुरू किया भूमि का कटाव

यमुना नदी में हथिनी कुंड बैराज से बुधवार को सुबह से लेकर शाम तक अलग-अलग घंटों में छोड़ा गया। पानी बृहस्पतिवार को पानीपत जिला की सीमा को पार करके दिल्ली की तरफ जा चुका है। यमुना में देर रात को...
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पानीपत के गांव नवादा आर व पार के बीच यमुना तटबंध के अंदर भूमि कटाव रोकने के लिये भरे जा रहे मिट्टी के कट्टे।-हप्र
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यमुना नदी में हथिनी कुंड बैराज से बुधवार को सुबह से लेकर शाम तक अलग-अलग घंटों में छोड़ा गया। पानी बृहस्पतिवार को पानीपत जिला की सीमा को पार करके दिल्ली की तरफ जा चुका है। यमुना में देर रात को पानी चेतावनी स्तर के पास पहुंच गया था, पर बृहस्पतिवार सुबह से पानी कम होना शुरू हुआ और शाम तक यमुना में चेतावनी स्तर से करीब दो फीट तक पानी नीचे आ गया है। हालांकि यमुना नदी अभी भी उफान पर चल रही है। यमुना में पानी कम होने के बावजूद बृहस्पतिवार को पानी ने गांव नवादा आर से गांव नवाद पार की तरफ तटबंध के अंदर भूमि का कटाव करना शुरू कर दिया। यमुना तटबंध के अंदर कई किसानों के पोपलर व ईख की फसल यमुना के पानी में बह गये हैं। यमुना के पानी द्वारा किया जा रहा कटाव अभी तटबंध से कई एकड़ दूर है। सिंचाई विभाग के जेई मोहित ने बेलदारों व काफी मजदूरों द्वारा यमुना में भूमि का कटाव रोकने के लिये मिट्टी के कट्टे डलवाये हैं। जेसीबी व ट्रैक्टरों द्वारा यमुना के पानी द्वारा कटाव रोकने के लिये सभी प्रयास किये जा रहे हैं। सिंचाई विभाग के जेई मोहित का कहना है कि जिस स्थान पर पानी द्वारा कटाव किया गया है, उसको रोकने के लिये बेलदारों व मजदूरों द्वारा मिट्टी के काफी संख्या में कट्टे डलवाये गये हैं, पर वहां पर पानी बहुत गहरा है। इसलिए यमुना का पानी कम होने पर कटाव रोकने को लेकर पुख्ता प्रबंध किये जाएगे।

ग्रामीणों ने की पत्थरों की लंबी ठोकरें लगाने की मांग : यमुना का पानी गांव तामशाबाद के करीब से होकर बह रहा है, जिसके चलते ग्रामीणों में भय बना हुआ है। ग्रामीण गजे सिंह, कृष्ण फौर, अशोक कुमार, मुकेश, जसवंत व रणपाल आदि का कहना है कि हमारे गांव के बिल्कुल पास से यमुना का पानी बह रहा है। सिंचाई विभाग द्वारा यहां पर कई पत्थरों की ठोकरें लगाई गई है पर पानी तेज बहाव में ठोकरों के उपर से आकर कटाव कर सकता है। इसलिए यहां पर पत्थरों की लंबी ठोकरें लगानी चाहिए। जेई मोहित ने बताया कि गांव तामशाबाद में करीब डेढ़ करोड़ की लागत से पत्थरों की दो नई ठोकरें लगाई और तीन पुरानी ठोकरों की मरम्मत की गई है।

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