डिजिटल कांटे को लेकर मजदूरों, किसानों के अलग-अलग सुर
धान तुलाई के विरोध और समर्थन में दोनों ने दिया अल्टीमेटम
नई अनाजमंडी में डिजिटल कांटे को लेकर किसानों और मजदूरों के सुर अलग-अलग हैं। मजदूर डिजिटल कांटे से धान की तुलाई के विरोध में उतर आए हैं। अपनी मांग को लेकर मजदूरों ने नारेबाजी की और करनाल अनाजमंडी आढ़ती एसोसिएशन के लेटरहेड पर मंडी सचिव को ज्ञापन सौंपा। मंडी मजदूर संगठन के अध्यक्ष जंग बहादुर यादव ने कहा कि सरकार निर्णय थोपने का प्रयास कर रही है। अगर डिजिटल कांटों का प्रयोग करना था तो इसके लिए मजदूरों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। धान बिक्री के सीजन के बीच में ऐसे फरमान जारी करना उचित नहीं है। अगर उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया गया तो वह 30 सितंबर से हड़ताल पर चले जाएंगे। वहीं भाकियू ने ऐलान कर दिया है कि मंडियों में डिजिटल कांटे से धान की तुलाई अनिवार्य तौर पर करवाई जाए। अगर आढ़ती डिजिटल कांटे से धान की तुलाई नहीं करवाता तो वे आढ़त का काम छोड़ दें। किसानों को मंडियों में लुटने नहीं देंगे। मंडियों में डिजिटल कांटे सियासी उठापठक का केंद्र बन चुके है, जहां किसी को फायदा तो किसी को नुकसान उठाने की पीड़ा झेलने का डर सता रहा है। जहां भाकियू डिजिटल कांटों से तोल करवाने के सरकार के निर्णय को किसान हितैषी बता रही है, वहीं मजदूर प्रत्यक्ष तो आढ़ती अप्रत्यक्ष रूप से विरोधी बता रहे है। भाकियू प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिन कांटों से धान की तुलाई करवाई जाती रही है, उन कांटों में प्रति क्विंटल 300 से 400 ग्राम ज्यादा धान तोला जाता है। भाकियू ने सरकार से मांग की थी कि मंडियों में डिजिटल कांटों से तोल करवाई जाए, जिसे प्रदेश सरकार ने माना। उन्होंने कहा कि सरकार का निर्णय सही हैं, मंडियों में तोल सही प्रकार से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो आढ़ती डिजिटल कांटों से तोल नहीं करवाना चाहता वो बेशक आढ़त का काम छोड़ दे। हम मंडियों में किसानों के साथ तोल में हेराफेरी नहीं चलने देंगे। सीजन के दौरान लेबर का विरोध अनुचित है, डिजिटल कांटों से तोल बिल्कुल पारदर्शी तरीके से होगा। उन्होंने कहा कि करनाल अनाजमंडी सचिव को मंडी में सोमवार तक डिजिटल कांटों की व्यवस्था करने को कहा था, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। अल्टीमेटम के अनुसार मंगलवार को मंडी सचिव कार्यालय की तालाबंदी कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।