Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

पानी उतरा तो दिखने लगे बर्बादी के निशान

घग्गर नदी से अब धीरे-धीरे पानी कम हो रहा है जिससे लोग ने राहत की सांस ली है। हालांकि बुधवार शाम 6 बजे टटियाना पुल पर लगे गेज के अनुसार घग्गर का जलस्तर खतरे के निशान से 2 इंच ऊपर...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
गुहला चीका के गांव रत्ताखेड़ा के खेतों में बर्बाद धान की फसल। -निस
Advertisement

घग्गर नदी से अब धीरे-धीरे पानी कम हो रहा है जिससे लोग ने राहत की सांस ली है। हालांकि बुधवार शाम 6 बजे टटियाना पुल पर लगे गेज के अनुसार घग्गर का जलस्तर खतरे के निशान से 2 इंच ऊपर बह रहा था] लेकिन खेतों में भरा बाढ़ का पानी जैसे-जैसे घग्गर में वापस जा रहा है तो पानी से तबाही के निशान दिखने शुरू हो गये। जिन खेतों में पिछले 1 सप्ताह से बाढ़ का पानी जमा था, उन खेतों में खड़ी धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। ग्रामीण मनजीत सिंह रत्ता खेड़ा, गुरप्रीत कौड़ा, महिंद्र सिंह, बलजीत सिहाली, दलीप सिंह, चरणजीत मोहनपुर व हरबंस मोहनपुर ने बताया कि पिछले 10 दिनों से घग्गर में बहुत बड़ी मात्रा में पानी बह रहा है। पानी ने गुहला के लगभग 40 गांवों को बुरी तरह से प्रभावित किया। किसानों ने कहा कि बाढ़ से गुहला क्षेत्र में लगभग 5 हजार एकड़ में खड़ी धान की फसलें बर्बाद हाे गई हैं। वहीं लगभग 2 हजार एकड़ फसलों में 50 प्रतिशत तक नुकसान होने का अंदेशा है। किसान फसलों पर पूरा खर्च कर चुके थे और सितंबर के अंतिम सप्ताह में अधिकतर फसलें काटी जानी थी, लेकिन देर से आई बरसात व बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया। किसानों ने सरकार से मांग रखी है कि उन्हें कम से कम 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए।

सरकार ने साइफन नहीं हटाया तो किसान तोड़ेंगे : चढ़ूनी

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बुधवार को गुहला के बाढ़ प्रभावित कई गांवों का किया दौरा किया। इस दौरान गुरनाम सिंह ने गांव सरोला के पास घग्गर नदी के ऊपर बने हांसी-बुटाना नहर के साइफन का जायजा लिया और पानी के प्रवाह को देखा। बाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि घग्गर नदी के ऊपर से हांसी-बुटाना नहर को गुजारने के लिए जो साइफन बनाया गया है, वह किसी भी प्रकार से तर्क संगत नहीं है। नहर में हमेशा सीमित मात्रा में पानी आता है जबकि घग्गर जैसे बरसाती दरिया में असीमित मात्रा में पानी आता है और इसके ऊपर बना साइफन पानी के प्राकृतिक बहाव में रुकावट पैदा करता है जिससे ऊपरी क्षेत्रों में पानी का दबाव बढ़ता है और हरियाणा व पंजाब के लगभग 5 दर्जन गांवों में बाढ़ का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि या तो सरकार स्वयं इस साइफन को तोड़कर हांसी-बुटाना नहर को घग्गर के नीचे से गुजारे वर्ना हरियाणा-पंजाब के किसान इस साइफन को तोड़ने को मजबूर होंगे।

Advertisement

कठवा में सड़कें टूटी, डेरों व ढाणियों में आयी दरारें

शाहाबाद मारकंडा (निस) :

लगभग 1 माह बाद बाढ़ग्रस्त गांव कठवा में पानी उतरने के बाद नुकसान देखने को मिल रहा है। बाढ़ का पानी हर तरफ बर्बादी के निशान छोड़ गया। कठवा के पूर्व सरपंच अमरेंद्र सिंह ने बताया कि खेतों में अभी भी पानी जमा है। डेरों व ढाणियों में ज्यादा पानी आने से दरारें आ गईं। फसलें भी पूरी तरह खराब हो गईं। खेतों में मारकंडा नदी की रेत जम गई है। उन्होंने कहा कि डेरों में बिजली की दिक्कत बन गई है। उन्होंने सरकार से 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की। वहीं भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बाढ़ से प्रभावित गांवों नलवी, गोलपुरा, मद्दीपुर, सुलखनी का दौरा कर किसानों की समस्याओं को सुना। भाकियू के हलका कार्यकारी प्रधान जसबीर सिंह मामूमाजरा ने कहा कि मारकंडा नदी के प्रोपर रूट यानि जहां पानी का बहाव है, अगर उस पर सरकार माइनिंग करवाये तो समस्या का 50 प्रतिशत हल हो सकता है।

Advertisement
×