Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

जब कला जवान होती है, तब कलाकार बूढ़ा हो जाता है : सुरेंद्र शर्मा

देशभक्तों और देवी-देवताओं की मूर्तियों से मूर्तिकार ने बनाई पहचान

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
यमुनानगर के फर्कपुर में भगवान शिव की मूर्ति तैयार करते सुरेंद्र शर्मा।  -हप्र 
Advertisement

फर्कपुर, जगाधरी वर्कशॉप निवासी मूर्तिकार सुरेन्द्र शर्मा पिछले लगभग 50 वर्षों से मूर्ति निर्माण कला को समर्पित हैं। उन्होंने अब तक देशभक्तों, महापुरुषों, गुरुओं और देवी-देवताओं की दर्जनों मूर्तियां तैयार की हैं, जो विभिन्न धर्मस्थलों और सार्वजनिक स्थलों की शोभा बढ़ा रही हैं। सुरेन्द्र शर्मा का कहना है कि अत्याधुनिक युग में भी कला और कलाकारों की कद्र करने वालों की कमी नहीं है। अब लोगों में एक बार फिर मूर्तिकला और पेंटिंग के प्रति रुचि बढ़ रही है। वे बताते हैं कि पहले पत्थर और संगमरमर की मूर्तियों का प्रचलन था, लेकिन अब फाइबर ग्लास की मूर्तियां ज्यादा लोकप्रिय हो गई हैं—किफायती, टिकाऊ और आकर्षक गेटअप वाली। उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने की प्रक्रिया मिट्टी के ढांचे से शुरू होकर फाइबर से अंतिम रूप देने और रंगों से सजाने तक चलती है। शर्मा का परिवार भी इस कला से जुड़ा है और सभी सदस्य इसमें निपुण हैं। उड़ीसा निवासी अपने गुरु एफसी परीड़ा का आभार जताते हुए शर्मा ने कहा कि देशभक्तों की मूर्तियां बनाते समय भीतर एक विशेष जोश और श्रद्धा का भाव जागता है। उन्होंने बताया कि उनके पास हरियाणा समेत पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल और उत्तर प्रदेश से ऑर्डर आते हैं। उन्होंने अपने सफर में देशभक्तों से लेकर देवी-देवताओं तक कई मूर्तियां बनाई हैं। सुरेन्द्र शर्मा का मानना है कि जब कला जवान होती है, तब कलाकार बूढ़ा हो जाता है। वे युवा पीढ़ी से आग्रह करते हैं कि वे छुट्टियों में पेंटिंग और मूर्तिकला जैसी रचनात्मक विधाएं सीखें, ताकि इस कला की परंपरा जीवित रह सके।

Advertisement
Advertisement
×