हमारे पास बाजार की कमी नहीं : मनोज राणा
अमेरिका के भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ से पानीपत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर नकारात्मक असर पड़ा है। ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं। क्रिसमस के ऑर्डर भी हाथ से निकल रहे हैं। इन सभी चिंताओं के बीच बाइंग एजेंट एसोसिएशन (बीएए) के सदस्यों ने निर्यातकों के साथ सेक्टर-25 स्थित एक होटल में सेमिनार किया। निर्यातकों को सुझाव देने के साथ ही हौसला बढ़ाया कि ट्रम्प आज है, कल नहीं होगा। चिंता मत करो। नए रास्ते तलाशो। बीएए के पूर्व चेयरमैन मनोज राणा ने कहा कि खर्चे कम करने के नए तरीके अपनाने होंगे। जिस तरह चाइना में काम होता है, वैसा सोचना होगा। सैंपलिंग का चार्ज लेना शुरू करें। उत्पाद को पोर्ट तक भेजते हैं तो इसका चार्ज आप खरीदार से लें। हमारे पास बाजार की कमी नहीं है। यूएसए के अलावा यूरोप से लेकर रशिया तक को हम अपना उत्पाद बेच सकते हैं। बीएए की महासचिव आंचल कंसल ने कहा कि सबसे पहले तो हमें पैनिक नहीं होना है, घबराहट में कोई गलत कदम न उठाएं। ये मत सोचें कि दूसरे देश में माल भेजकर, उनका लेबल लगाकर बिक्री कर लेंगे। ऐसा करने से आपकी कंपनी पूरी तरह से बैन हो सकती है। यहां तक की जेल जाने की भी नौबत आ सकती है। अगर आप 70 प्रतिशत माल भारत में बनाते हैं और बाकी दूसरे देश में बनाकर बेचते हैं तो ही छूट मिल सकती है। वाइस चेयरमैन सुमित छाबड़ा व प्रमोद राणा ने भी सुझाव दिए। द पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रधान ललित गोयल का कहना है कि बीएए ने जो सुझाव दिए हैं, उन पर अमल करना आसान नहीं है। टैरिफ से बचने के लिए किसी दूसरे देश में अपने उत्पाद को फाइनल टच देकर बेचना आसान आसान नहीं है। लागत ही बढ़ जाएगी। अगर गलत काम करते हैं तो जेल भी हो सकती है। पानीपत में यस के संस्थापक रमन छाबड़ा, निर्यातक सुमित नाथ, प्रेम सागर विज, रोहित गुप्ता, प्रतीक तायल, रमेश वर्मा, सुरेन्द्र मित्तल, विवेक गुप्ता व विनीत शर्मा ने भी विचार रखे।
कस्टमर को जाने न दें
बीएए के सदस्यों ने कहा कि अमेरिका को भी हमारी जरूरत है। हम हाथ से बना हुआ उत्पाद बनाते हैं। यह उत्पाद उसे कहीं ओर से नहीं मिल सकता। इस वक्त हमें कस्टमर को हाथ से नहीं जाने देना होगा। अगर 25 प्रतिशत भी कस्टमर साथ रहता है तो काफी कुछ बचा जाएंगे। निर्यातकों और बीएए के सदस्यों ने ये माना कि टैरिफ अब स्थायी रहेगा। अगर कम भी होगा तो 25 प्रतिशत तो रहेगा ही। हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। इसी अनुसार, अपनी रणनीति बनानी होगी। अपने उत्पाद को बेहतर करना होगा। कोस्ट को किसी तरह कम करना होगा। चीन की तरह उत्पाद में प्रयोग करने होंगे। हम आपदा में अवसर तलाश लेते हैं। कोविड के वक्त भी बिजनेस को बढ़ाया। यह भी एक दौर है, जो निकल जाएगा।