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विनीत का हृदय मक्खन जैसा : उपेन्द्र मुनि

समालखा अनाज मंडी स्थित जैन स्थानक में आयोजित धर्मसभा में जैन संत उपेन्द्र मुनि महाराज ने प्रवचन में विनम्रता और संवेदनशीलता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संत का हृदय मक्खन के समान होता है। जैसे मक्खन ताप...
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समालखा में प्रवचन देते उपेन्द्र मुनि। निस
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समालखा अनाज मंडी स्थित जैन स्थानक में आयोजित धर्मसभा में जैन संत उपेन्द्र मुनि महाराज ने प्रवचन में विनम्रता और संवेदनशीलता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संत का हृदय मक्खन के समान होता है। जैसे मक्खन ताप मिलने पर पिघल जाता है, उसी प्रकार संत दूसरों के दुख देखकर द्रवित हो उठता है। उन्होंने “संत हृदय नवनीत समाना” के संदर्भ में समझाया कि विनीत व्यक्ति अत्यंत दयालु और भावुक होता है। दूसरों की पीड़ा देखकर उसका हृदय पिघलता है और वह उनके दुख में सहभागी होता है।

संत ने उदाहरण देते हुए कहा कि झुकना ही महानता का लक्षण है। दाने से भरा पौधा हमेशा झुकता है, जबकि खोखला पौधा अकड़ा रहता है। इसी प्रकार विद्वान और मेधावी व्यक्ति सदैव नम्र रहते हैं, जबकि अकड़ तो मृत वस्तु का लक्षण है। उपेन्द्र मुनि ने कहा कि तलवार हड्डी जैसी कठोर वस्तु को एक झटके में काट सकती है, लेकिन रूई को नहीं काट पाती। उन्होंने श्रोताओं से आह्वान किया कि जीवन में अहंकार का त्याग कर विनम्रता को अपनाएं, क्योंकि यही सच्ची मानवता और अध्यात्म का मार्ग है।

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