मारकंडा नदी की तलाश में जुटे ग्रामीण, राजस्व रिकॉर्ड को लेकर सीएम से मिलेंगे
अम्बाला के सैंकड़ों किसानों को तबाह कर चुकी मारकंडा नदी मुलाना के कुछ इलाकों में वर्षों से गायब है। इस नदी ने कई इलाकों में अपना रुख मोड़ लिया है। करीब 2 किलोमीटर तक अपना रास्ता बदल चुकी इस नदी की असल जगह को लेकर लोगों ने तलाश शुरू कर दी है। गांव हेमामाजरा में हुई बैठक में नदी की तलाश करने का निर्णय लिया गया। लोगों ने अब इस मुददे पर सीएम नायब सैनी से मिलने का निर्णय लिया। हिमाचल प्रदेश में कालाअम्ब से शुरू होने वाली यह नदी यूं तो लोगों की आस्था का केंद्र है। नारायणगढ़ से होते हुये जिले के करीब 50 गांवों के बीच से निकलती है। भारी बारिश में आसपास के गांवों को डूबो देती है। गांव मुलाना के पास तो इस नदी का रौद्र रूप बेहद भयावह होता है। लोगों के अनुसार फिलहाल नदी का जहां बहाव है, असल में यह इसकी जगह नही है। राजस्व रिकाॅर्ड में भी नदी का यहां कोई जिक्र नहीं है। मुलाना के पूर्व सरपंच नरेश चौहान के अनुसार 50 साल पहले नदी मुलाना से पहले रौलांहेड़ी के पास से एमपीएन कॉलेज से होती हुई मुलाना- दोसड़का के बीच से निकलती थी, लेकिन अब मुलाना के निचले हिस्सों में इसका बहाव हो गया है जो हेमामाजरा व घेलड़ी से होकर जाती है। यही कारण है कि इस नदी के बदले रूख ने लोगों को उजड़ने का मजबूर कर दिया है। जजपा जिला प्रधान व इलाके बड़े किसान मनदीप सिंह बोपाराय के यहां इन हालातों को लेकर बैठक हुई। प्रभावित ग्रामीणों ने सवाल किया कि जब रिकाॅर्ड में नदी यहां नहीं है तो वे नुकसान क्यों सहन करें। हर साल उन्हें उजड़कर बसना पड़ता है। बोपाराय ने कहा कि अब वे नदी का रिकाॅर्ड विभाग से मांग रहे हैं, लेकिन किसी के पास इसका रिकाॅर्ड नहीं है। अब सीएम नायब सैनी से मिलेंगे।
हर नदी का हमारे पास रिकाॅर्ड : जिला राजस्व अधिकारी
जिला राजस्व अधिकारी राजेश ख्यालिया के अनुसार मारकंडा नदी रिकाॅर्ड में न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। ये जरूर है कि वह अपनी जगह बदल गई होगी। उन्होंने कहा कि किसानों की बात को सुनकर जरूर इस पर गौर की जायेगी।