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आजादी की लड़ाई में उधम सिंह का योगदान अविस्मरणीय : अरुण

गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शहीद उधम सिंह के शहीदी दिवस और कथा सम्राट प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में स्वतंत्रता आंदोलन व साहित्य की महान शख्सियतों के...
इन्द्री के गांव ब्याना स्थित विद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में विद्यार्थियों को संबोधित करते हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार। -निस
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गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शहीद उधम सिंह के शहीदी दिवस और कथा सम्राट प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में स्वतंत्रता आंदोलन व साहित्य की महान शख्सियतों के जीवन-संघर्षों, विचारों व योगदान पर चर्चा करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने की। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने शहीद उधम सिंह के जीवन व विचारों पर अपने विचार व्यक्त किए और हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने प्रेमचंद का साहित्य में योगदान विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।

अरुण कुमार कैहरबा ने अपने संबोधन में कहा कि उधम सिंह साम्प्रदायिक सद्भाव व सर्वधर्म समभाव में विश्वास करते थे और इसे ही आजादी का मूलमंत्र मानते थे। उन्होंने कहा कि उधम सिंह आजादी की लड़ाई का ऐसा सिपाही है, जिनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

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इस मौके पर प्राध्यापक डॉ. सुभाष चन्द्र, सलिन्द्र मंढ़ाण, सतीश राणा, बलविन्द्र सिंह, राजेश सैनी, राजेश कुमार, सीमा गोयल, सन्नी चहल, स्वर्णजीत शर्मा, महेश कुमार, रमन बग्गा, अश्वनी कांबोज, निशा कांबोज, संगीता सहित सभी स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।

मुंशी प्रेमचंद ने व्यक्त की जीवन की मुश्किलें

मुंशी प्रेमचंद के बारे में नरेश मीत ने कहा कि प्रेमचंद उनके पसंदीदा साहित्यकार हैं। क्योंकि उन्होंने अपनी रचनाओं में आम जन के जीवन की मुश्किलों, विसंगतियों, शोषण को व्यक्त किया। आम जन की भाषा में लिखने के कारण भी उनके साहित्य का विशेष महत्व है।

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